
नई दिल्ली। टेक दिग्गज गूगल ने गुरुवार को भारत के लिए अपना ‘सेफ्टी-फर्स्ट’ रोडमैप पेश किया, जिसमें बच्चों, किशोरों और वरिष्ठ नागरिकों को एआई सुरक्षा प्रयासों के केंद्र में रखा गया है।
कंपनी ने ऑन-डिवाइस रियल-टाइम एंटी-स्कैम टूल्स, टेक्स्ट वॉटरमार्किंग और डिजिटल-लिटरेसी कार्यक्रमों की घोषणा की, ताकि एआई को अधिक सुरक्षित और समावेशी बनाया जा सके।
गूगल के अनुसार, जेमिनी नैनो (Gemini Nano) से संचालित Scam Detection फीचर जल्द ही पिक्सल फोनों पर उपलब्ध होगा। यह टूल कॉल को रियल टाइम में विश्लेषित कर संभावित स्कैम की पहचान करेगा—वह भी पूरी तरह डिवाइस पर, बिना कॉल रिकॉर्ड किए, ट्रांसक्रिप्ट बनाए या गूगल से डेटा साझा किए।
यह फीचर डिफॉल्ट रूप से बंद रहेगा, केवल अनजान नंबरों की कॉल पर लागू होगा, कॉल में मौजूद लोगों को एक बीप से सूचित करेगा, और यूजर इसे कभी भी बंद कर सकता है।
गूगल ने बताया कि वह SynthID Detector की उपलब्धता बढ़ा रहा है और SynthID टेक्स्ट वॉटरमार्किंग टूल को अपने Responsible GenAI Toolkit के हिस्से के रूप में ओपन-सोर्स कर रहा है। यह वॉटरमार्किंग तकनीक एआई-जेनरेटेड इमेज और ऑडियो की पहचान में साझेदारों की मदद करती है।
कंपनी ने भारत में साइबरपीस फाउंडेशन को 2 लाख डॉलर (USD) की ग्रांट देने की भी घोषणा की। यह सहयोग एआई-आधारित साइबर-डिफेंस टूल्स बनाने, बच्चों और किशोरों के लिए सुरक्षित डिजिटल लर्निंग वातावरण तैयार करने और IndiaAI मिशन के अनुरूप जिम्मेदार एआई गवर्नेंस मजबूत करने के लिए दिया जा रहा है।
साथ ही, गूगल एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की पांच प्रमुख विश्वविद्यालयों और थिंक टैंकों को 10 लाख डॉलर (USD 1 million) देगा, ताकि एआई के अवसरों और चुनौतियों पर शोध और सार्थक संवाद को बढ़ावा मिले।
गूगल के वाइस प्रेसिडेंट (प्राइवेसी, सेफ्टी और सिक्योरिटी) इवान कोट्सोविनोस ने कहा, “भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है। ऐसे में हम ऐसे एआई सिस्टम बना रहे हैं जो भारत के एआई-सक्षम भविष्य में उपयोगकर्ताओं का भरोसा कायम रखें।”
गूगल इंडिया की कंट्री मैनेजर प्रीति लोबाना ने कहा, “हम सुरक्षा के लिए 360-डिग्री अप्रोच अपना रहे हैं—ऑन-प्रोडक्ट और ऑन-क्लाउड सुरक्षा के साथ-साथ डिजिटल लिटरेसी, जो उपयोगकर्ताओं को जागरूक और सक्षम बनाती है।”
With inputs from IANS