एनडीआरआई ने आईवीएफ तकनीक से गिर नस्ल की बछिया का सफलतापूर्वक किया उत्पादनBy Admin Wed, 16 July 2025 06:34 AM

करनाल (हरियाणा) — राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) ने पशु प्रजनन तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक के जरिए गिर नस्ल की एक बछिया का सफलतापूर्वक जन्म कराया है।

एनडीआरआई के वैज्ञानिकों ने देश की पहली क्लोन गिर नस्ल की गाय 'गंगा' के अंडाणु से भ्रूण विकसित किया और उसे साहिवाल नस्ल की गाय के गर्भ में प्रत्यारोपित किया। इसके बाद 11 जुलाई को गिर नस्ल की बछिया का जन्म हुआ।

इस पहल का उद्देश्य दुग्ध देने वाले पशुओं की संख्या में वृद्धि करना है। इस प्रक्रिया में इस्तेमाल की गई ओपीयू-आईवीएफ तकनीक ने प्रजनन चक्र को भी काफी कम कर दिया है। जहां सामान्यतः दो पीढ़ियों के बीच 60 से 84 महीने का समय लगता है, वहीं इस तकनीक से यह चक्र मात्र 39 महीनों में पूरा हो गया।

एनडीआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक उच्च नस्ल की गायों की संख्या तेजी से बढ़ाने में बेहद कारगर साबित होगी।

जहां प्राकृतिक तरीके से एक गाय अपने जीवन में लगभग 10-12 बछड़े देती है, वहीं यह तकनीक उस संख्या को कई गुना तक बढ़ा सकती है।

इस उपलब्धि को एनडीआरआई के निदेशक डॉ. धीरेर सिंह के मार्गदर्शन में वैज्ञानिकों की टीम — डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. नरेश सेलोकार, डॉ. रंजीत वर्मा, कार्तिकेय पटेल, डॉ. प्रियंका सिंह और डॉ. नितिन त्यागी — ने मिलकर हासिल किया।

एनडीआरआई के निदेशक डॉ. धीरेर सिंह ने बताया कि क्लोन गाय 'गंगा' के अंडाणु से ओपीयू-आईवीएफ तकनीक के माध्यम से सरोगेट माँ से जन्मी यह बछिया संस्थान के वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता है।

उन्होंने कहा कि क्लोन और ओपीयू-आईवीएफ तकनीक के संयुक्त प्रयोग से देश में उच्च दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं की संख्या को तेजी से बढ़ाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि भारत में गिर नस्ल की गायों की संख्या लगभग 9 लाख है, जो मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान में पाई जाती हैं। हरियाणा के हिसार और जींद जिलों में भी इनका पालन किया जाता है।

गंगा नामक क्लोन गाय के अंडाणु से जन्मी इस बछिया का नाम श्रावणी रखा गया है, क्योंकि इसका जन्म सावन महीने में हुआ। अब इसके जीन की जांच की जाएगी ताकि यह पता चल सके कि यह कितनी प्रतिशत गिर नस्ल की है।

 

With inputs from IANS