अंतरिक्ष स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला द्वारा माइक्रोएल्गी और सायनोबैक्टीरिया पर किए गए अध्ययन का केंद्र ने दिया ब्योराBy Admin Thu, 24 July 2025 04:05 AM

नई दिल्ली — भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता पर अध्ययन के लिए तीन स्वदेशी माइक्रोएल्गी प्रजातियों और दो सायनोबैक्टीरिया स्ट्रेन्स पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर प्रयोग किए। इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में दी।

गत माह शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। वे 18 दिनों के मिशन के बाद 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटे। इस मिशन में उन्होंने ISRO द्वारा संचालित कई प्रयोग और अन्य गतिविधियां कीं।

राज्यसभा में लिखित उत्तर देते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इन प्रयोगों का उद्देश्य भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए जैविक जीवन समर्थन प्रणाली को बेहतर बनाना है।

उन्होंने बताया,
"ISS पर तीन स्वदेशी और मजबूत माइक्रोएल्गी प्रजातियों — Chlorella sorokiniana-I, Parachlorella kessleri-I और Dysmorphococcus globosus-HI — पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity), CO₂ और O₂ के स्तर के प्रभाव का अध्ययन किया गया। यह अध्ययन अंतरिक्ष और पृथ्वी दोनों पर (इनडोर लैब में) किया गया।"**

डॉ. सिंह ने कहा,
"ये माइक्रोएल्गी न केवल माइक्रोग्रैविटी में प्रभावी रूप से कार्य कर सकती हैं, बल्कि पृथ्वी पर तेजी से वृद्धि कर औद्योगिक दृष्टि से उपयोगी उत्पाद भी तैयार कर सकती हैं। अंतरिक्ष में, ये ISS के केबिन से अतिरिक्त CO₂ को अवशोषित कर महत्वपूर्ण पोषक तत्व और फूड सप्लीमेंट तैयार कर सकती हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन के लिए सहायक होगा।"

उन्होंने आगे बताया कि IAF ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने दो सायनोबैक्टीरिया स्ट्रेन्स — स्पाइरुलिना (भारतीय जैव रूप) और बहुत तेज़ी से बढ़ने वाला Synechococcus स्ट्रेन — का भी अध्ययन किया, जिनकी वृद्धि दो नाइट्रोजन स्रोतों — नाइट्रेट और यूरिया पर की गई। यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में किया गया।

मंत्री ने कहा,
"यह प्रयोग यह प्रदर्शित करने की क्षमता रखता है कि सायनोबैक्टीरिया कार्बन और नाइट्रोजन दोनों के पुनर्चक्रण (recycling) में सक्षम हैं।"

यह अध्ययन भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए सायनोबैक्टीरिया आधारित जैविक जीवन समर्थन प्रणाली विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

डॉ. सिंह ने बताया कि गगनयान मिशन के तहत चुने गए सबसे कम उम्र के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की यह अंतरिक्ष यात्रा और उनके द्वारा किए गए प्रयोग, भारत की 2027 में प्रस्तावित मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेंगे।

 

With inputs from IANS