
नई दिल्ली: आपके पसंदीदा चिप्स, कुकीज़, और कोल्ड ड्रिंक्स जैसे अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ ऐसी लत पैदा कर सकते हैं जो नशे की लत जैसी मानसिक बीमारियों के मानकों को पूरा करती है। एक हालिया अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस खतरे को मानसिक रोगों के निदान तंत्र में मान्यता न देना वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक चूक है।
इस अध्ययन की मुख्य लेखिका और मिशिगन यूनिवर्सिटी (अमेरिका) में मनोविज्ञान की प्रोफेसर ऐश्ली गेयरहार्ट ने कहा, "लोग सेब या ब्राउन राइस के आदी नहीं होते। वे उन औद्योगिक उत्पादों से जूझ रहे हैं जिन्हें खास तौर पर दिमाग को तेजी, तीव्रता और बार-बार प्रभावित करने के लिए बनाया गया है — जैसे एक नशा।"
यह शोध नेचर मेडिसिन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और इसमें 36 देशों में किए गए करीब 300 अध्ययनों की समीक्षा की गई है। अध्ययन में पाया गया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स मस्तिष्क के रिवॉर्ड सिस्टम को हाईजैक कर लेते हैं, जिससे व्यक्ति को तीव्र क्रेविंग (ललक), नियंत्रण की कमी और नुकसानदायक प्रभावों के बावजूद सेवन जारी रखने जैसी लक्षणों के रूप में लत लग जाती है।
ब्रेन स्कैन अध्ययनों से यह भी पता चला कि ऐसे खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन करने वाले व्यक्तियों के मस्तिष्क सर्किट में ऐसी ही गड़बड़ियां दिखती हैं जैसी शराब और कोकीन के आदी लोगों में देखी जाती हैं।
दिलचस्प रूप से, जो दवाएं इन प्रोसेस्ड फूड्स की ललक को कम करती हैं, वही दवाएं नशे की लत को भी कम करने में प्रभावी पाई गई हैं, जो इनके बीच की साझा जैविक प्रणाली को दर्शाता है।
गेयरहार्ट और उनकी टीम ने यह भी बताया कि नाइट्रस ऑक्साइड और कैफीन उपयोग विकार जैसे मामलों को मानसिक रोगों के डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल में शामिल कर लिया गया है, जबकि अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड की लत, पर्याप्त और बढ़ते प्रमाणों के बावजूद, अब तक कोई प्रारंभिक मान्यता भी नहीं पा सकी है।
शोध की सहलेखिका और ड्रेसल यूनिवर्सिटी की शोध सहायक प्रोफेसर एरिका ला-फाटा ने कहा, "अन्य मामलों में लत को पहचानने का स्तर कहीं कम रहा है। अब वक्त आ गया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की लत को भी उसी वैज्ञानिक कसौटी पर परखा जाए।"
इस अध्ययन ने स्वास्थ्य अधिकारियों, चिकित्सकों और नीति-निर्माताओं से तत्काल कार्रवाई की अपील की है — जैसे कि इस लत को औपचारिक मान्यता देना, अनुसंधान के लिए फंडिंग करना, और पहचान व उपचार के लिए क्लिनिकल टूल्स विकसित करना। इसके साथ ही, उन्होंने तंबाकू नियंत्रण की तर्ज पर बच्चों पर विज्ञापन प्रतिबंध, स्पष्ट लेबलिंग और जन जागरूकता कार्यक्रमों की सिफारिश की है।
गेयरहार्ट ने स्पष्ट किया, "हम यह नहीं कह रहे कि हर खाना नशा है, लेकिन कई अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स को जानबूझकर इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे लत लगाएं। जब तक हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक हम उन लोगों की मदद करने में असफल रहेंगे जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है — खासकर बच्चों को।"
With inputs from IANS