
नई दिल्ली – भारत फरवरी 2026 में AI Impact Summit की मेज़बानी करेगा, जिससे यह साफ होता है कि देश सार्वजनिक हित के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लोकतांत्रिक बनाने के अपने संकल्प को मजबूत कर रहा है। इस बात की जानकारी संसद में बुधवार को दी गई।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि यह ऐतिहासिक आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें वे तकनीक को सभी के लिए सुलभ बनाकर, AI के ज़रिए स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, जलवायु और सुशासन जैसे वास्तविक मुद्दों का समाधान चाहते हैं।
भारत की IndiaAI मिशन नीति का केंद्रबिंदु जवाबदेही, सुरक्षा, समानता और निजता व मानवाधिकारों की रक्षा है।
मंत्री ने बताया कि इस मिशन के तहत भारतीय डेटा का उपयोग करते हुए देशी बड़े और छोटे भाषा मॉडल (Large and Small Language Models) विकसित किए जा रहे हैं।
वर्तमान में Sarvam AI, Soket AI, Gnani AI और Gan AI जैसे भारतीय स्टार्टअप ऐसे फाउंडेशनल मॉडल्स पर काम कर रहे हैं, जो भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधताओं के अनुरूप हों। ये मॉडल ओपन-सोर्स होंगे, जिससे अन्य स्टार्टअप अपने हिसाब से स्थानीय समाधान विकसित कर सकें।
वैष्णव के अनुसार, AI क्षेत्र में नवाचार को गति देने के लिए सरकार GPU इंफ्रास्ट्रक्चर की पहुंच सुनिश्चित कर रही है और AIKosh Datasets Platform का विस्तार कर रही है, जिसमें अभी 1,000 से अधिक डेटासेट और 208 AI मॉडल्स उपलब्ध हैं, जिनमें भारतीय भाषाओं के लिए Text-to-Speech टूल्स भी शामिल हैं।
इसके अलावा, सरकार स्वास्थ्य, जलवायु और सुशासन जैसे जनहित के क्षेत्रों में उपयोग होने वाले 30 AI-आधारित अनुप्रयोगों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
IndiaAI Startups Global Programme के तहत 10 भारतीय स्टार्टअप्स को Station F और HEC Paris में मेंटरशिप दी जा रही है, जिनमें PrivaSapien Technologies (प्राइवेसी बढ़ाने वाला AI) और Secure Blink (AI साइबर सुरक्षा) शामिल हैं।
AI को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाए रखने के लिए भारत ने IndiaAI Safety Institute की स्थापना की है, जो जिम्मेदार AI पर केंद्रित परियोजनाओं का समन्वय करेगा। इन परियोजनाओं में AI बायस को कम करना, मशीन अनलर्निंग, और वॉटरमार्किंग जैसे विषय शामिल हैं।
AI से जुड़े जोखिमों जैसे डिसइन्फॉर्मेशन, डीपफेक्स और डेटा के दुरुपयोग को ध्यान में रखते हुए भारत ने एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार किया है, जिसमें डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (2023), IT एक्ट (2000), और IT नियम (2021) शामिल हैं।
भारत का यह टेक्नो-लीगल अप्रोच कानून और सरकारी R&D को साथ जोड़कर डीपफेक डिटेक्शन, प्राइवेसी और साइबर सुरक्षा टूल्स के विकास को बढ़ावा दे रहा है।
भारत द्वारा 2026 के इस AI सम्मेलन की मेज़बानी न केवल देश की वैश्विक नेतृत्व की स्थिति को मजबूत करती है, बल्कि यह दिखाती है कि भारत समावेशी, नैतिक और नवाचार-प्रेरित AI विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
With inputs from IANS