पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर कुपोषण एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ा सकता है: अध्ययनBy Admin Sun, 03 August 2025 10:59 AM

नई दिल्ली- एक चौंकाने वाले अध्ययन के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के जिन बच्चों में गंभीर कुपोषण है, उनमें एंटीमाइक्रोबियल (प्रतिजैविक) प्रतिरोधक बैक्टीरिया विकसित होने का खतरा काफी अधिक होता है।

वैश्विक स्तर पर अनुमानित 4.5 करोड़ बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण ऐसे बच्चों में तपेदिक (टीबी) या सेप्सिस जैसी जानलेवा संक्रमणों का खतरा भी अधिक होता है।

Ineos Oxford Institute for Antimicrobial Research (IOI) द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में पाया गया है कि नाइजर में गंभीर कुपोषण से ग्रस्त बच्चों के इलाज के दौरान उनमें एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया तेजी से फैल रहे हैं।

यह शोध पत्रिका ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया कि 76 प्रतिशत बच्चों में ऐसे बैक्टीरिया पाए गए जिनमें ESBL (Extended-spectrum beta-lactamase) जीन मौजूद थे, जो सामान्यत: उपयोग की जाने वाली कई एंटीबायोटिक दवाओं को निष्क्रिय कर सकते हैं।

वहीं हर चार में से एक बच्चा (25%) ऐसे बैक्टीरिया से संक्रमित था, जिनमें carbapenemase जैसे blaNDM जीन पाए गए, जो सबसे शक्तिशाली और अंतिम विकल्प की एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं।

इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका और IOI की वैज्ञानिक प्रमुख डॉ. किर्स्टी सैंड्स ने कहा, “ये दुनिया के सबसे संवेदनशील और कमजोर बच्चे हैं, और हम देख रहे हैं कि इनमें ऐसे बैक्टीरिया पनप रहे हैं जो जीवन रक्षक दवाओं पर भी असर नहीं कर रहे।”

उन्होंने आगे कहा, “हालांकि हमारा अध्ययन केवल नाइजर के एक अस्पताल केंद्र पर केंद्रित था, लेकिन यह स्थिति दुनिया भर के कई अन्य अस्पतालों में भी देखने को मिल रही होगी। जब दुनिया भर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ रहा है, और साथ ही युद्ध और जलवायु परिवर्तन जैसी मानवीय आपदाएं कुपोषण को और बढ़ा रही हैं, तो इससे अस्पतालों में भीड़भाड़ और खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है।”

एंटीबायोटिक्स जीवन रक्षक दवाएं हैं, लेकिन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के कारण ये दवाएं अब कम असरदार होती जा रही हैं। AMR वह स्थिति है जब बैक्टीरिया, फंगस और परजीवी दवाओं के असर के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं।

Médecins Sans Frontières (डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स) के सहयोग से किए गए इस अध्ययन में 2016 से 2017 के बीच गंभीर कुपोषण से ग्रसित 5 साल से कम उम्र के 1,371 बच्चों से लिए गए 3,000 से अधिक रेक्टल स्वैब का विश्लेषण किया गया।

पता चला कि अस्पताल में भर्ती के समय जिन बच्चों में कार्बापेनेम-प्रतिरोधी बैक्टीरिया नहीं थे, उनमें से करीब 70 प्रतिशत बच्चों में डिस्चार्ज के समय ऐसे बैक्टीरिया पाए गए। कार्बापेनेम्स अंतिम चरण की एंटीबायोटिक दवाओं की श्रेणी में आते हैं, जो तभी दी जाती हैं जब अन्य दवाएं विफल हो जाएं।

इसके अलावा, 10 प्रतिशत से अधिक बच्चों में E. coli ST167 स्ट्रेन और blaNDM जीन पाए गए, जो बेहद चिंता का विषय है क्योंकि ये इन्फेक्शन के इलाज के विकल्पों को काफी सीमित कर देते हैं।

अध्ययन ने इस बात पर जोर दिया कि अस्पतालों में संक्रमण से बचाव और नियंत्रण की व्यवस्थाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि सबसे कमजोर मरीजों को सुरक्षित रखा जा सके।

 

With inputs from IANS