भारत का चिप बाजार 2030 तक पहुंच सकता है 110 अरब डॉलर के आंकड़े तकBy Admin Mon, 04 August 2025 03:57 AM

नई दिल्ली – भारत अब केवल एक उपभोक्ता नहीं बल्कि वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में एक प्रमुख निर्माता के रूप में उभर रहा है। भारत का चिप बाजार 2030 तक 100 से 110 अरब डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है। यह बदलाव सरकार द्वारा शुरू की गई रणनीतिक पहलों – इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (₹76,000 करोड़ का निवेश), SEMICON इंडिया कार्यक्रम, और iCET जैसे वैश्विक साझेदारी कार्यक्रमों के चलते संभव हो पा रहा है, ऐसा एक आधिकारिक बयान में रविवार को कहा गया।

उद्योग अनुमानों के अनुसार, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में लगभग $38 अरब, 2024-25 में $45 से $50 अरब, और 2026 तक $63 अरब का हो जाएगा। वहीं 2030 तक यह आंकड़ा $100 से $110 अरब तक पहुंचने की संभावना है।

सेमीकॉन इंडिया 2025 का चौथा संस्करण 2 से 4 सितंबर तक दिल्ली में आयोजित होगा। इसमें 18 देशों की भागीदारी के साथ भारत की वैश्विक सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में बदलती भूमिका को दर्शाया जाएगा। यह तीन दिवसीय आयोजन उद्योग जगत, इनोवेटर्स, शिक्षा क्षेत्र, सरकार और अन्य हितधारकों को एक मंच पर लाएगा ताकि तकनीकी सहयोग और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।

जैसे-जैसे अधिकृत संयंत्र संचालन शुरू करेंगे और नए प्रोजेक्ट आकार लेंगे, भारत सेमीकंडक्टर निर्माण का एक भरोसेमंद केंद्र बनता जा रहा है, जिससे देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी। बयान में कहा गया, “निर्भरता से प्रभुत्व तक, चिप क्रांति सच है और 'यहीं भारत में, अभी के अभी' हो रही है।”

मई 2025 में, केंद्र सरकार ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत एक और सेमीकंडक्टर यूनिट को मंजूरी दी है, जो HCL और Foxconn का संयुक्त उद्यम है। यह संयंत्र मोबाइल, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी आदि में उपयोग होने वाले डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण करेगा। इस प्लांट की डिजाइन क्षमता प्रति माह 20,000 वेफर्स और 3.6 करोड़ यूनिट आउटपुट की है।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में घोषणा की गई कि भारत का पहला स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप इस वर्ष उत्पादन के लिए तैयार होगा। फिलहाल 5 उत्पादन इकाइयों का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जो देश की घरेलू क्षमता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।

सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में प्रतिभा निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 85,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने का एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है।

मध्यप्रदेश ने आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। यहां ₹150 करोड़ के निवेश से अगले 6 वर्षों में राज्य का पहला आईटी कैंपस शुरू हुआ है। एक लाख वर्गफुट में फैले इस अत्याधुनिक परिसर में आईटी हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का संपूर्ण निर्माण एक ही छत के नीचे किया जाएगा।

यह संयंत्र सर्वर, डेस्कटॉप, मदरबोर्ड, रैम, एसएसडी, सहित ड्रोन और रोबोट जैसी उन्नत तकनीक का भी उत्पादन करेगा। साथ ही लैपटॉप, टैबलेट, मॉनिटर आदि उत्पादों का भी निर्माण होगा। इस परियोजना से लगभग 1,200 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है, जिससे मध्यप्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का एक उभरता केंद्र बन सकता है।

जुलाई 2025 में, सरकार की चिप डिज़ाइन योजना के तहत समर्थित स्टार्टअप Netrasemi को ₹107 करोड़ का वेंचर कैपिटल निवेश प्राप्त हुआ है। यह कंपनी स्मार्ट विजन, सीसीटीवी कैमरा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के लिए चिप्स बना रही है।

बयान में यह भी बताया गया कि वैश्विक स्तर पर चिप्स की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला अभी भी सीमित क्षेत्रों में केंद्रित होने के कारण काफी नाजुक है। ऐसे में वैश्विक विनिर्माण को विविध बनाना आवश्यक है और भारत इस दिशा में एक प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ESDM) को मेक इन इंडिया के तहत एक प्रमुख क्षेत्र घोषित करने से लेकर इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम तक, इन पहलों ने उद्योग को समर्थन देने वाला इकोसिस्टम तैयार किया है।

वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक $1 ट्रिलियन तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी महत्वपूर्ण रहेगी।

भारत सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला की तीन मुख्य स्तंभों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है:

  1. उपकरण (Equipment) – MSMEs की मजबूत नींव के कारण उपकरणों के लिए पुर्जों का निर्माण

  2. सामग्री (Materials) – रसायन, खनिज और गैसों की प्रचुरता, जो सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए आवश्यक

  3. सेवाएं (Services) – अनुसंधान, लॉजिस्टिक्स, एआई, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और IoT जैसी प्रतिभाओं का भंडार

 

With inputs from IANS