केंद्र सरकार ने यूरिया के उपयोग को कम करने के लिए वैकल्पिक उर्वरकों को दी बढ़ावाBy Admin Wed, 06 August 2025 07:42 AM

नई दिल्ली — केंद्र सरकार ने उर्वरकों के संतुलित और विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जैविक उर्वरक, बायो-फर्टिलाइज़र, डी-ऑयल्ड केक, ऑर्गेनिक कार्बन एन्हांसर और नैनो-फर्टिलाइज़र जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को अधिसूचित किया है, ताकि पोषक तत्वों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।

2014 में शुरू की गई “मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना” (Soil Health and Fertility Scheme) का उद्देश्य राज्यों को रासायनिक उर्वरकों (माध्यमिक और सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित), जैविक खाद और जैव उर्वरकों के संयोजन से एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (INM) को बढ़ावा देने में सहायता करना है, जिससे मृदा स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार हो सके।

राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि मृदा के नमूनों का परीक्षण मानक प्रक्रिया के तहत किया जाता है, जिसमें pH, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी (EC), जैविक कार्बन, उपलब्ध नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सल्फर, और सूक्ष्म पोषक तत्व (जैसे जिंक, कॉपर, आयरन, मैंगनीज और बोरॉन) की जांच शामिल है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी भूमि की पोषक स्थिति की जानकारी देता है और यह सुझाव देता है कि मृदा की उर्वरता बढ़ाने के लिए कौन-से पोषक तत्व किस मात्रा में डालने चाहिए।

इस योजना के तहत अब तक 25.13 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, 93,781 किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम, 6.80 लाख प्रदर्शन, और 7,425 किसान मेले/अभियान मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों के आधार पर पूरे देश में आयोजित किए गए हैं।

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए, सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में (उत्तर-पूर्व राज्यों को छोड़कर) तथा उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCDNER) के तहत काम कर रही है।

PKVY योजना के तहत, तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की सहायता प्रदान की जाती है। इसमें से ₹15,000 प्रति हेक्टेयर की राशि किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से जैविक खाद और अन्य इनपुट्स के लिए दी जाती है।

MOVCDNER योजना के अंतर्गत तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर ₹46,500 की सहायता दी जाती है, जिसमें किसान उत्पादक संगठन (FPO) का निर्माण, जैविक इनपुट्स की सहायता आदि शामिल हैं। इसमें ₹32,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता जैविक इनपुट्स के लिए दी जाती है, जिसमें से ₹15,000 की राशि DBT के माध्यम से सीधे किसानों को दी जाती है।

 

With inputs from IANS