सिर्फ 1 घंटे तक स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया रील्स देखने से हो सकती है आंखों की थकान: अध्ययनBy Admin Tue, 19 August 2025 05:46 AM

नई दिल्ली। क्या आप डिजिटल आई स्ट्रेन का सामना कर रहे हैं? एक अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन पर केवल एक घंटे तक सोशल मीडिया रील्स स्क्रॉल करने से आंखों में थकान हो सकती है।

जर्नल ऑफ आई मूवमेंट रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि केवल डिजिटल उपकरणों पर बिताया गया समय ही नहीं, बल्कि देखे जाने वाले कंटेंट का प्रकार भी आंखों की स्थिति को प्रभावित करता है।

एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कहा, “सोशल मीडिया कंटेंट पढ़ने या वीडियो देखने की तुलना में पुतलियों में अधिक उतार-चढ़ाव पैदा करता है।”

टीम का कहना है कि “20 मिनट से अधिक समय तक लगातार स्मार्टफोन का इस्तेमाल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे मनो-शारीरिक विकारों का कारण बन सकता है।”

डिजिटल उपकरणों और उनमें मौजूद नीली रोशनी (ब्लू लाइट) के लंबे समय तक संपर्क से आंखों में थकान, नींद संबंधी समस्याएं और दृष्टि विकार हो सकते हैं।

युवा भारतीय वयस्कों में एक घंटे के स्मार्टफोन उपयोग का दृश्य थकान पर प्रभाव जांचने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक पोर्टेबल और कम लागत वाला सिस्टम विकसित किया, जो दृश्य गतिविधि को मापता है।

इस सिस्टम ने पलक झपकने की दर, पलक झपकने के बीच का अंतराल और पुतली का व्यास मापा। इन मापों को ई-बुक पढ़ने, वीडियो देखने और सोशल मीडिया रील्स (शॉर्ट वीडियो) देखते समय दर्ज किया गया।

शोधकर्ताओं ने समझाया, “सोशल मीडिया रील्स में स्क्रीन की चमक और तीव्रता में लगातार बदलाव होते हैं, जिससे पुतलियों का फैलना बढ़ता है और पलक झपकने की दर कम हो जाती है। यह बदलाव आंखों की थकान का कारण बन सकता है।”

असुविधा के स्तर पर, लंबे समय तक स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के बाद 60 प्रतिशत प्रतिभागियों ने हल्के से लेकर गंभीर तक की असुविधा की शिकायत की, जिनमें आंखों में थकान, गर्दन दर्द और हाथों की थकान जैसे लक्षण शामिल थे।

इसके अलावा, 83 प्रतिशत प्रतिभागियों ने मनो-शारीरिक विकारों का अनुभव बताया, जैसे चिंता, नींद में बाधा या मानसिक थकान। असुविधा को कम करने के लिए, 40 प्रतिशत प्रतिभागियों ने ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करने या डार्क मोड सेटिंग सक्षम करने जैसे उपाय अपनाने की सूचना दी।

 

With inputs from IANS