
हैदराबाद – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 40 मंज़िला इमारत जितना ऊंचा रॉकेट विकसित कर रहा है, जो 75,000 किलोग्राम वज़नी उपग्रह को निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) में स्थापित करने में सक्षम होगा। यह जानकारी इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने मंगलवार को दी।
इसरो ने कई लक्ष्य तय किए हैं, जिनमें नाविक (नेविगेशन विद इंडिया कॉन्स्टेलेशन सिस्टम) उपग्रह और एन-1 रॉकेट का प्रक्षेपण शामिल है। इसके अलावा, इसरो अमेरिकी संचार उपग्रह (6,500 किलोग्राम) को भी भारतीय रॉकेट से कक्षा में स्थापित करेगा।
उस्मानिया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए नारायणन ने कहा, “हम 75,000 किलो वज़न को लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए रॉकेट की परिकल्पना कर रहे हैं। इसकी ऊंचाई 40 मंज़िला इमारत जितनी होगी।” उन्होंने याद दिलाया कि दशकों पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा बनाया गया पहला प्रक्षेपण यान 17 टन वज़नी था और वह केवल 35 किलो भार कक्षा में स्थापित कर सकता था।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष इसरो एक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन सैटेलाइट (TDS) और GSAT-7R प्रक्षेपित करेगा। यह विशेष रूप से भारतीय नौसेना के लिए तैयार किया गया सैन्य संचार उपग्रह है, जो मौजूदा GSAT-7 (रुक्मिणी) की जगह लेगा।
नारायणन ने कहा कि वर्तमान में भारत के पास अंतरिक्ष में 55 उपग्रह हैं और आने वाले 3–4 वर्षों में यह संख्या तीन गुना हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत 2035 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाएगा, जिसका भार 52 टन होगा। इसके साथ ही इसरो शुक्र ग्रह ऑर्बिटर मिशन पर भी काम कर रहा है।
उन्होंने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक की सफल यात्रा का उल्लेख करते हुए बताया कि मूल कार्यक्रम 11 जून को था। लेकिन एक दिन पहले ही टीम ने रॉकेट में रिसाव पाया, जिसके बाद इसे 25 जून तक टालना पड़ा। यदि इस रिसाव को नज़रअंदाज़ कर रॉकेट उड़ाया जाता तो यह बड़ी विफलता होती। भारतीय वैज्ञानिकों के आग्रह पर रॉकेट की मरम्मत की गई और मिशन सुरक्षित रूप से पूरा हुआ।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा पर बोलते हुए नारायणन ने कहा कि आज भारत उन देशों की श्रेणी में है जो अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी हैं। 1963 में अमेरिका से मिला एक छोटा रॉकेट लॉन्च करने से शुरुआत कर इसरो ने लंबा सफर तय किया है। हाल ही में नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर राडार (NISAR) उपग्रह के सफल प्रक्षेपण से यह साबित हुआ।
उन्होंने बताया कि तीन महीनों के भीतर एक और महत्वपूर्ण मिशन होगा, जिसमें अमेरिका द्वारा बनाया गया 6,500 किलो वज़नी संचार उपग्रह भारतीय रॉकेट से वाणिज्यिक आधार पर प्रक्षेपित किया जाएगा।
अब तक भारत ने 133 प्रकार के उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं, जिनमें 6,000 किलो वज़नी GSAT-11 भी शामिल है। भारत ने 43 देशों के 433 उपग्रह भी अपने प्रक्षेपण यानों से लॉन्च किए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के पास चांद पर सबसे बेहतरीन कैमरा है, जिसकी क्षमता 32 सेंटीमीटर तक है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने पहली ही कोशिश में मंगल ऑर्बिटर मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया। इसरो पहला संगठन है जिसने एक ही रॉकेट से 104 उपग्रह लॉन्च किए।
आज भारत ने आदित्य L1 उपग्रह का निर्माण किया है, जो सूर्य का अध्ययन कर रहा है। इससे 20 टेराबिट डेटा प्राप्त हुआ है। दुनिया के केवल चार देशों में यह क्षमता है और भारत उनमें से एक है।
तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने इसरो अध्यक्ष नारायणन को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की।
With inputs from IANS