
नई दिल्ली। कम्प्यूटेशनल खगोलभौतिकी में एक महत्वपूर्ण प्रगति के तहत वैज्ञानिकों की एक टीम ने तारकीय वायुमंडलों (Stellar Atmospheres) के अधिक यथार्थवादी गुणों की गणना करने की एक नई विधि विकसित की है। शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यह तरीका तारकीय स्पेक्ट्रा के अधिक सटीक सिमुलेशन का मार्ग प्रशस्त करता है, जो खगोलविद तारों, परितारकीय डिस्क और अंतरतारकीय बादलों की भौतिक स्थितियों को समझने के लिए प्रमुख उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं।
अब तक अधिकांश मॉडल एक महत्वपूर्ण सरलीकरण पर आधारित थे। इसमें यह माना जाता था कि यद्यपि परमाणु ऊर्जा अवस्थाओं में संतुलन से विचलित हो सकते हैं, लेकिन उनकी गतियाँ (वे कितनी तेजी से गति कर रहे हैं) फिर भी एक निश्चित, अनुमानित वितरण का पालन करती हैं — जिसे मैक्सवेलियन वक्र कहा जाता है। यह मान्यता सुविधाजनक तो है, लेकिन हमेशा वास्तविक नहीं होती, खासकर अल्पकालिक उत्तेजित अवस्थाओं वाले परमाणुओं के लिए।
वास्तविकता में तारकीय वायुमंडल अत्यधिक अराजक होते हैं। फोटॉनों का प्रकीर्णन होता है, ऊर्जा स्तर बदलते रहते हैं और गति वितरण संतुलन से हट सकता है। इस जटिलता को पकड़ने के लिए खगोलभौतिकविदों को फुल नॉन-लोकल थर्मोडायनेमिक इक्विलिब्रियम (FNLTE) रेडिएटिव ट्रांसफर की आवश्यकता होती है — एक चुनौतीपूर्ण समस्या जिसे 1980 के दशक में वर्णित किया गया था, लेकिन उस समय की कंप्यूटिंग सीमाओं के कारण हल नहीं किया जा सका।
भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान (IIA) के एक शोधकर्ता ने फ्रांस के इंस्टिट्यूट डी रिसर्च इन एस्ट्रोफिजिक ए प्लैनेटोलॉजी (IRAP) के सहयोगियों के साथ मिलकर इस दिशा में बड़ी प्रगति की है।
टीम ने पहले FNLTE समस्या के एक सरल रूप — दो-स्तरीय परमाणु (टू-लेवल एटम) — पर काम किया। अब उन्होंने अगला साहसिक कदम उठाते हुए तीन-स्तरीय परमाणु समस्या का समाधान प्रस्तुत किया है।
तीन परमाणु स्तरों के मामले में नए प्रकार के प्रकीर्णन सामने आते हैं, जिनमें रामन स्कैटरिंग भी शामिल है — जिसमें परमाणु प्रकाश को अवशोषित करके अलग आवृत्ति पर पुनः उत्सर्जित करता है। पारंपरिक मॉडलों में इन प्रक्रियाओं का केवल अनुमान लगाया जाता था, जबकि नया FNLTE दृष्टिकोण इन्हें स्वाभाविक रूप से दर्शाता है।
जब टीम ने अपने FNLTE परिणामों की पारंपरिक मॉडलों से तुलना की, तो अंतर बेहद स्पष्ट थे। उत्तेजित हाइड्रोजन परमाणुओं का गति वितरण अब मैक्सवेलियन वक्र का पालन नहीं करता था, बल्कि विशेषकर तारकीय सतह के पास स्पष्ट विचलन दिखा रहा था — ठीक वही स्थान जहां से खगोलविद तारों की स्पेक्ट्रल जानकारी एकत्र करते हैं।
यह प्रगति खगोलभौतिकविदों को पहले से कहीं अधिक वास्तविकता के साथ तारकीय स्पेक्ट्रा का सिमुलेशन करने के और करीब ले जाती है।
IIA की संपूर्णा एम ने कहा, “दो से तीन या अधिक परमाणु स्तरों की ओर यह बड़ा वैचारिक छलांग अब पूरी कर ली गई है।”
टीम — फ्रांस के टूलूज़ स्थित IRAP के टी. लागाश और एफ. पालेतो तथा बेंगलुरु स्थित IIA की एम. संपूर्णा — अब इस विधि को और अधिक जटिल परमाणुओं पर लागू करने और भारी गणनाओं को संभालने के लिए तेज़तर संख्यात्मक तकनीकें विकसित करने पर काम कर रही है।
With inputs from IANS