ईरान के सर्वोच्च नेता बोले – अमेरिका चाहता है ‘आज्ञाकारिता’, वॉशिंगटन से सीधे वार्ता से इनकारBy Admin Mon, 25 August 2025 06:59 AM

तेहरान। ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने कहा है कि अमेरिका ईरान का सामना इसलिए करता है क्योंकि वह देश से "आज्ञाकारी" होने की उम्मीद रखता है। उन्होंने इस मांग को "अपमानजनक" बताया और कहा कि ईरान इसका डटकर विरोध करेगा।

रविवार को तेहरान में अपने संबोधन के दौरान ख़ामेनेई ने वॉशिंगटन के साथ सीधे वार्ता की मांगों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका की दुश्मनी 1979 की इस्लामी क्रांति से लगातार जारी है। (शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने आधिकारिक एजेंसी आईआरएनए के हवाले से यह जानकारी दी।)

उन्होंने 13 जून को ईरान पर हुए हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि अगले ही दिन अमेरिकी समर्थित समूह एक यूरोपीय राजधानी में मिले और “पोस्ट-इस्लामिक रिपब्लिक” व्यवस्था पर चर्चा की। इनमें राजशाही व्यवस्था का प्रस्ताव भी शामिल था। लेकिन, उन्होंने कहा कि ईरानी जनता और संस्थानों की मजबूती ने इन प्रयासों को नाकाम कर दिया।

ख़ामेनेई ने तर्क दिया कि जून में हुए दुर्लभ अमेरिकी और इज़रायली हमलों का मकसद ईरान को अस्थिर करना था। ये हमले उसके परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किए गए थे, जिनके जवाब में ईरान ने भी पलटवार किया।

उन्होंने कहा कि युद्ध की शुरुआत में इज़रायल द्वारा ईरान पर हमले के अगले ही दिन, अमेरिकी एजेंट यूरोप में इकट्ठा हुए और चर्चा की कि इस्लामी गणराज्य के बाद ईरान पर किस तरह की सरकार शासन करेगी।

ख़ामेनेई ने देशवासियों से एकजुट रहने और राष्ट्रपति मासूद पेज़ेश्कियन का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि अब ईरान के शत्रु घरेलू स्तर पर विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने ग़ाज़ा में इज़रायल की सैन्य कार्रवाई की निंदा की, पश्चिमी देशों से इसके समर्थन को बंद करने का आह्वान किया और यमन के हूती आंदोलन द्वारा इज़रायल के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाइयों को "न्यायोचित" बताया।

उल्लेखनीय है कि 1979 की इस्लामी क्रांति और अमेरिकी दूतावास में बंधक संकट के बाद से ही तेहरान और वॉशिंगटन के बीच रिश्ते टूटे हुए हैं। तब से अमेरिका ने ईरान पर कई दौर की पाबंदियाँ लगाई हैं, जिनमें हालिया प्रतिबंध उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर हैं।

 

With inputs from IANS