चीन ने द्वितीय विश्वयुद्ध विजय परेड में दिखाए नए हथियार; शी जिनपिंग ने की ‘वैश्विक शांति’ की अपीलBy Admin Wed, 03 September 2025 07:59 AM

बीजिंग- चीन ने बुधवार को इतिहास रचते हुए राजधानी बीजिंग में आयोजित एक भव्य सैन्य परेड के दौरान अपने कुछ सबसे उन्नत सैन्य हथियारों का सार्वजनिक प्रदर्शन किया। इनमें हाइपरसोनिक मिसाइलें, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां और मानवरहित लड़ाकू प्लेटफॉर्म शामिल थे।

यह आयोजन द्वितीय विश्वयुद्ध में चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया, जहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शांति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मजबूत संदेश दिया, भले ही वैश्विक तनाव अपने चरम पर क्यों न हो।

थ्येनआनमेन स्क्वायर में आयोजित परेड में चीन के कई आधुनिक हथियार पहली बार प्रदर्शित किए गए। इनमें हाइपरसोनिक मिसाइलें, डायरेक्टेड-एनर्जी सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर उपकरण और मानवरहित इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म शामिल थे। इस दौरान 10,000 से अधिक सैनिक, 100 से ज्यादा विमान और सैकड़ों टैंक व बख्तरबंद वाहन शामिल हुए।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन भी हैं, ने कार्यक्रम की अगुवाई की। अपने मुख्य भाषण में उन्होंने इस जीत को चीन के आधुनिक इतिहास में विदेशी आक्रमण पर “पहली पूर्ण विजय” बताया।

शी ने कहा:
“चीनी जनता ने मानव सभ्यता की रक्षा और विश्व शांति बनाए रखने में बड़ा योगदान दिया। अब सभी देशों को युद्ध के मूल कारणों को समाप्त करना चाहिए और इतिहास की त्रासदियों को दोहराने से बचना चाहिए।”

परेड के मंच पर शी जिनपिंग के साथ 20 से अधिक देशों के नेता मौजूद थे, जिनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन, और ईरान, मलेशिया, पाकिस्तान, नेपाल, मालदीव, म्यांमार, इंडोनेशिया, मंगोलिया, जिम्बाब्वे और मध्य एशियाई देशों के गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।

2015 के बाद यह दूसरा अवसर था जब चीन ने विजय दिवस पर इतनी विशाल सैन्य परेड का आयोजन किया। स्क्वायर में विशाल दीवारनुमा संरचनाएं स्थापित की गई थीं, जो युद्धकालीन चीनी दृढ़ता का प्रतीक थीं। हेलिकॉप्टरों ने “न्याय की विजय”, “शांति की विजय” और “जनता की विजय” जैसे संदेश वाले बैनर लहराए, जबकि सैनिक सटीक गठन में मार्च कर रहे थे।

दर्शकों और दिग्गज सैनिकों ने 80 स्मारक झंडों को देखा, जो युद्ध के दौरान ऐतिहासिक सैन्य इकाइयों को सम्मानित करने के लिए लहराए गए थे।

चीन का प्रतिरोध 1931 से ही शुरू हो गया था और यह सहयोगी देशों में सबसे लंबा चला। चीन ने जापान की आधी से अधिक विदेशी सेनाओं को रोके रखा और लगभग 3.5 करोड़ हताहतों का सामना किया, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के वैश्विक नुकसान का एक-तिहाई था।

चीन को उस समय समर्थन देने वाले देशों — अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और कनाडा — के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था।

पहली बार संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सेवा दे चुके चीनी शांति सैनिकों को भी परेड में शामिल किया गया। लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में सेवा दे चुके एक सैनिक ने कहा:
“हमारे पास उस शांति की रक्षा करने की क्षमता है जो हमारे पूर्वजों ने अपने खून से अर्जित की।”

शी जिनपिंग ने यह भी दोहराया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को चीन के पुनरुत्थान और आधुनिकीकरण में रणनीतिक समर्थन देना होगा, ताकि 2035 तक पूरी तरह आधुनिक समाजवादी राष्ट्र बनने का लक्ष्य हासिल हो सके।

एक छात्र दर्शक ल्यू शोये ने कहा:
“अस्सी साल पहले हम फिर से जीवित हुए थे। आज, अस्सी साल बाद, हम और अधिक शक्ति और ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं।”

 

With inputs from IANS