
नई दिल्ली : नेपाल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन छिड़ गए हैं। खासकर जेन-ज़ेड युवाओं ने मंगलवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार से इस्तीफ़े की मांग की है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार व्यापक भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग में लिप्त है।
यह अशांति तब बढ़ी जब सरकार ने सोशल मीडिया ऐप्स पर लगाया गया अस्थायी प्रतिबंध हटा लिया। प्रतिबंध का मक़सद प्रदर्शन रोकना था, लेकिन इससे ग़ुस्सा और भड़क उठा। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में अब तक कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है।
एक युवा प्रदर्शनकारी ने आईएएनएस से कहा, “वर्तमान सरकार युवाओं का शोषण कर रही है। वे भ्रष्ट हैं और हमारी पीड़ा नहीं देखते। हमें ऐसी नई नेतृत्व चाहिए जो वास्तव में जनता की परवाह करे।”
एक अन्य प्रदर्शनकारी भरत ने कहा, “हमारी सिर्फ़ एक मांग है—नेपाल से भ्रष्टाचार खत्म किया जाए। मेरे कई साथी गोली से मारे गए, मैंने उन्हें कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुँचाया। हालात बेहद गंभीर हैं। हम सिर्फ़ ईमानदार सरकार चाहते हैं, लेकिन मौजूदा सरकार पूरी तरह भ्रष्ट है।”
सोमवार की हिंसा में 19 मौतों के बाद गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफ़ा दे दिया, वहीं कृषि एवं पशुपालन मंत्री रामनाथ अधिकारी ने भी मंगलवार को पद छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि राज्य हिंसा देखकर वे पद पर बने नहीं रह सकते।
काठमांडू घाटी में मंगलवार को अलग-अलग इलाक़ों में फिर से विरोध हुआ, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया। काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर के ज़िला प्रशासन ने नोटिस जारी कर सुबह से ही कर्फ्यू की घोषणा की, ताकि मुख्य शहरों में भीड़ जमा न हो सके।
कर्फ्यू के दौरान सिर्फ़ ज़रूरी सेवाओं जैसे एंबुलेंस, दमकल, शव वाहन, स्वास्थ्यकर्मी, पत्रकार, पर्यटक, मानवाधिकार संगठनों व राजनयिक मिशनों के वाहन, और एयर टिकट वाले यात्रियों को आवाजाही की अनुमति दी गई है।
इस बीच, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने नेपाल की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई है और वहाँ मौजूद भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने और नेपाली प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। मंत्रालय ने नेपाल में युवाओं की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
मंत्रालय ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, “हम नेपाल की घटनाओं पर नज़दीकी नज़र रखे हुए हैं और युवाओं की मौत से गहरा दुखी हैं। हमारी संवेदनाएँ पीड़ित परिवारों के साथ हैं।”
With inputs from IANS