
काठमांडू: भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध के खिलाफ आंदोलन का आह्वान करने वाले जेनजेड नेताओं में से एक केपी खनाल ने कहा कि आंदोलन के दौरान स्वार्थी समूहों की घुसपैठ से हिंसा भड़क गई, जिसके चलते दो दिनों में करीब दो दर्जन लोगों की जान चली गई।
हालांकि इस आंदोलन ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की अलोकप्रिय सरकार को गिराने में सफलता हासिल की, लेकिन खनाल का कहना है कि वे और उनके स्वयंसेवी साथी सरकारी व निजी इमारतों में तोड़फोड़ और आगजनी के पूरी तरह खिलाफ थे।
सोमवार को पुलिस फायरिंग में 19 लोगों की मौत से आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार (सरकार का मुख्य प्रशासनिक केंद्र), राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री ओली का आवास, शीर्ष राजनीतिक दलों के मुख्यालय सहित कई महत्वपूर्ण सरकारी भवनों पर हमला कर दिया। इसी दौरान कई बड़े कारोबारी घरानों और कॉरपोरेट कार्यालयों को भी आग के हवाले कर दिया गया, जिससे आम जनता में भय का माहौल बन गया। काठमांडू के विभिन्न हिस्सों से धुएं के गुबार उठते देखे गए।
खनाल ने कहा, “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, भीड़ लगातार बढ़ रही थी। तभी कुछ लोग संसदीय भवन पर हमला करने लगे, जिससे पुलिस ने अत्यधिक बल प्रयोग किया और कई लोगों की मौत हो गई।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने मंगलवार को सार्वजनिक और निजी संपत्तियों पर हुए हमलों का समर्थन नहीं किया। यह संभव है कि कुछ स्वार्थी तत्व जेनजेड आंदोलन के नाम पर इन हमलों में शामिल रहे हों।”
प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल की राजनीतिक दिशा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस बीच काठमांडू महानगर पालिका के लोकप्रिय मेयर बालेन शाह नए राजनीतिक नेतृत्व के संभावित चेहरे के रूप में उभर रहे हैं।
शाह ने फेसबुक पर जेनजेड प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए लिखा, “अब आपके पीढ़ी को देश का नेतृत्व करना होगा। इसके लिए तैयार रहिए, सेना प्रमुख से बातचीत के लिए भी तैयार रहिए। लेकिन ध्यान रहे, ऐसी बातचीत संसद के विघटन के बाद ही होनी चाहिए।”
बाजार में यह अटकलें भी चल रही हैं कि शाह अगले प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं। 2022 में एक स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में काठमांडू के मेयर चुने गए शाह पहले एक रैपर रह चुके हैं।
हालांकि जेनजेड आंदोलन शुरू होने से पहले शाह ने इसका समर्थन किया था, लेकिन उन्होंने खुद इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था, यह कहते हुए कि वे जेनजेड पीढ़ी (1997-2012 में जन्मे लोग) में शामिल नहीं हैं।
जनता और निजी संपत्ति को हुए भारी नुकसान के बाद नेपाल सेना प्रमुख ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने और बातचीत का आह्वान किया। लेकिन खनाल ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि जेनजेड की ओर से वार्ता का नेतृत्व कौन करेगा।
उन्होंने साफ किया कि उनकी टीम ने मेयर शाह से वार्ता का नेतृत्व करने का अनुरोध नहीं किया। “लेकिन आंदोलन के लिए उनका समर्थन मिलना महत्वपूर्ण था,” उन्होंने जोड़ा।
शाह द्वारा संसद भंग करने की मांग के बाद संकेत मिल रहे हैं कि नेपाल की राजनीतिक दिशा गैर-संवैधानिक प्रक्रिया से भी तय की जा सकती है।
खनाल ने कहा, “अगर संसद भंग होती है तो राजनीतिक समाधान का रास्ता निकल सकता है।”
With inputs from IANS