
नई दिल्ली- सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रणनीतिक आपसी रक्षा समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने गुरुवार को कहा कि वह इस समझौते के अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करेगा और अपने हितों की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
यह समझौता बुधवार को रियाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच हुआ, जिसके तहत किसी एक पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में कहा, “हमें सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक आपसी रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर की खबर मिली है। सरकार जानती थी कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था को औपचारिक रूप देने वाला यह कदम विचाराधीन था।”
बयान में आगे कहा गया, “हम इस विकास के हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय व वैश्विक स्थिरता पर प्रभावों का अध्ययन करेंगे। सरकार भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और सभी क्षेत्रों में समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
‘रणनीतिक आपसी रक्षा समझौता’ दोनों देशों के बीच दशकों पुराने सुरक्षा संबंधों का सबसे औपचारिक रूप है। 1960 के दशक से पाकिस्तान सऊदी सैनिकों को प्रशिक्षण देता रहा है और संयुक्त सैन्य अभ्यासों में शामिल रहा है। रियाद और इस्लामाबाद के संयुक्त बयान में कहा गया कि यह समझौता “रक्षा सहयोग के पहलुओं को विकसित करने” और “किसी भी आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करने” के उद्देश्य से किया गया है।
यह घटनाक्रम पहलगाम हमले के तुरंत बाद सामने आया है, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ के heavily armed आतंकियों ने 26 लोगों की जान ले ली थी।
इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ बड़े आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान ने इसके बाद जवाबी हमले किए, जिससे तनाव और बढ़ गया।
भारत ने इसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर आउटरीच’ शुरू किया, जिसके तहत सांसदों और अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल मित्र देशों में भेजे गए ताकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उजागर किया जा सके। इसी कड़ी में भाजपा सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब भी गया।
रक्षा समझौते का समय भी क्षेत्र में अस्थिरता के माहौल के बीच आया है। दो दिन पहले ही अरब और इस्लामिक देशों ने अरब लीग और ओआईसी (OIC) का संयुक्त आपात सत्र बुलाया था, जब 9 सितम्बर को इजराइल ने दोहा में संघर्षविराम वार्ता के दौरान हमास के वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाकर हवाई हमला किया था। इस हमले की अरब देशों में व्यापक निंदा हुई।
With inputs from IANS