दोवाल-द्रूइन वार्ता से आई प्रगति, खालिस्तानी आतंकियों पर सख्त हुआ कनाडाBy Admin Tue, 23 September 2025 07:01 AM

नई दिल्ली- भारत-कनाडा संबंधों में लंबे समय से खालिस्तान मुद्दे पर तनाव रहा है। जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए बेसिर-पैर के आरोपों के बाद रिश्ते काफी बिगड़ गए थे। लेकिन उनके पद छोड़ने और मार्क कार्नी सरकार बनने के बाद रिश्तों में धीरे-धीरे सुधार देखा जा रहा है।

भारत को तब उम्मीद की किरण दिखी जब कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी कि खालिस्तानी तत्व कनाडा की ज़मीन का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़े फंड इकट्ठा करने के लिए कर रहे हैं। भारत पहले इस बात को लेकर संदेह में था कि क्या वाकई कनाडा इन आतंकियों पर कार्रवाई करेगा। हालांकि, हाल ही में खालिस्तान रेफरेंडम के मुख्य संयोजक इंदरजीत सिंह गोसल की गिरफ्तारी इस दिशा में सकारात्मक संकेत है।

अब भारत को लगता है कि कनाडा आखिरकार समस्या को स्वीकार कर रहा है और इस पर मिलकर काम करने को तैयार है।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अगुवाई में एक टीम कनाडाई एजेंसियों के साथ करीबी तालमेल कर रही है। भारत कनाडा को खालिस्तानी नेटवर्क पर डोज़ियर और खुफिया जानकारी साझा कर रहा है, जिसका नतीजा गोसल की गिरफ्तारी के रूप में सामने आया। अधिकारियों का कहना है कि पहले भी ऐसे डोज़ियर कनाडा को दिए गए थे, लेकिन तब वे अनदेखे कर दिए जाते थे। फर्क सिर्फ इतना है कि अब कनाडा कार्रवाई करने को तैयार है।

भारतीय एजेंसियों ने साफ किया है कि ये तत्व कोई "एडवोकेसी ग्रुप" नहीं हैं, बल्कि आईएसआई द्वारा फंड किए गए आतंकी संगठन का हिस्सा हैं।

इस प्रगति के पीछे इस महीने की शुरुआत में हुई एनएसए अजीत डोभाल और उनकी कनाडाई समकक्ष नथाली द्रूइन की बैठक अहम रही। दोनों पक्ष इस नतीजे पर पहुंचे कि अब समय आ गया है कि समस्या का डटकर मुकाबला किया जाए। बैठक में दोनों देशों ने इस मुद्दे पर खुफिया जानकारी साझा करने और करीबी सहयोग करने पर सहमति जताई।

कूटनीतिक स्तर पर भी यह तय हुआ है कि खालिस्तान समस्या से मिलकर निपटा जाएगा। कनाडा अब मानने लगा है कि खालिस्तानी न केवल भारत के खिलाफ अपनी ज़मीन का इस्तेमाल कर रहे हैं, बल्कि खुद कनाडा के भीतर भी आक्रामक और खतरनाक हो गए हैं। हाल ही में एक घटना में खालिस्तानी तत्वों ने कुछ कनाडाई नागरिकों को देश छोड़ने की धमकी दी, जिसे लेकर सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं।

खुफिया आकलन के अनुसार, भारत में खालिस्तान आंदोलन पूरी तरह विफल हो चुका है। पंजाब में कई बार दोबारा खड़े होने की कोशिशें असफल हुईं क्योंकि सुरक्षा इंतज़ाम कड़े हैं और युवाओं की इस आंदोलन में कोई रुचि नहीं है। यही हताशा उन्हें कनाडा में ज़्यादा आक्रामक बना रही है, जिससे कनाडा के हित भी प्रभावित हो रहे हैं।

अधिकारियों का कहना है कि पूरी तरह से रिश्तों में सुधार होने में समय लगेगा, क्योंकि खालिस्तान मुद्दे पर अभी बहुत काम बाकी है। गोसल की गिरफ्तारी इस लड़ाई का पहला कदम है।

भारत ने अब तक कनाडा को 26 प्रत्यर्पण अनुरोध भेजे हैं, जिनमें से केवल 5 पर कार्रवाई हुई है, बाकी लंबित हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ये सभी अनुरोध उन लोगों से जुड़े हैं जिन पर भारत में आतंक और संबंधित अपराधों के आरोप हैं, और इनकी अस्थायी गिरफ्तारी भी मांगी गई थी।

 

With inputs from IANS