
मॉस्को — रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत द्वारा रूस से तेल आयात जारी रखने के फैसले का जोरदार समर्थन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्हें “संतुलित और बुद्धिमान नेता” बताया। साथ ही उन्होंने अमेरिका पर भारत को दबाव में लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
सोची में आयोजित वाल्दाई डिस्कशन क्लब को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध अद्वितीय और ऐतिहासिक हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात केवल आर्थिक कारणों से प्रेरित है, इसमें कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।
“यहां कोई राजनीतिक पहलू नहीं है... अगर भारत हमारी ऊर्जा आपूर्ति से इनकार करता है तो उसे 9–10 अरब डॉलर का नुकसान होगा। और अगर इनकार नहीं करता तो भी प्रतिबंधों के कारण नुकसान होगा। तो फिर क्यों इनकार करे, जब घरेलू राजनीतिक लागत भी जुड़ी हो?” — पुतिन
पुतिन ने भारत की मज़बूती और स्वतंत्र नीति पर भरोसा जताते हुए कहा,
“भारत जैसा देश अपने नेताओं के फैसलों पर पैनी नज़र रखता है और कभी भी किसी के सामने अपमान स्वीकार नहीं करेगा। और मैं प्रधानमंत्री मोदी को जानता हूं, वे स्वयं भी ऐसे कदम कभी नहीं उठाएंगे।”
ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण के दौरान भारत और चीन पर रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को वित्तीय रूप से सहारा देने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में अमेरिका ने अगस्त में भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया, जिससे कुल आयात शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच गया।
पुतिन ने भारत-रूस के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों का भी ज़िक्र किया।
“भारत में लोग इसे याद रखते हैं, जानते हैं और महत्व देते हैं। हमने कभी भारत के साथ कोई समस्या या अंतर-राज्यीय तनाव नहीं देखा। कभी नहीं।”
प्रधानमंत्री मोदी को “मित्र” बताते हुए पुतिन ने कहा कि उनके साथ संबंध भरोसे और सहजता पर आधारित हैं। उन्होंने मोदी को “संतुलित, बुद्धिमान और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण वाले नेता” के रूप में सराहा।
भारत और रूस के बीच व्यापारिक असंतुलन पर बात करते हुए पुतिन ने कहा कि मॉस्को को भारत से आयात बढ़ाने की ज़रूरत है।
“भारत से कृषि उत्पादों की अधिक खरीद की जा सकती है। दवाओं और फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। हमें वित्त, लॉजिस्टिक्स और भुगतान से जुड़ी कई चुनौतियों को हल करना होगा ताकि अवसरों का पूरा लाभ मिल सके।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत-रूस के विशेष सामरिक साझेदारी संबंध अपने 15वें वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं और दोनों देशों के बीच निकट सहयोग की अहमियत और बढ़ गई है।
With inputs from IANS