
नई दिल्ली- नई दिल्ली स्थित राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप (RRAG) ने मंगलवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं, की कड़ी आलोचना की है। संगठन ने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT), बांग्लादेश सेना और न्यायपालिका को देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की खुली छूट दी है।
आरआरएजी ने कहा कि 23 अक्टूबर को कई इस्लामी समूहों ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के समर्थन से पूरे बांग्लादेश में समन्वित प्रदर्शन किए, जिनमें अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (ISKCON) पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई।
ढाका में हुए एक प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने भड़काऊ नारे लगाए और आरोप लगाया कि ISKCON के सदस्य “भारतीय एजेंट” के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने इन भक्तों को गिरफ्तार करने और बांग्लादेश से निष्कासित करने की भी मांग की।
उसी दिन, हेफ़ाज़त-ए-इस्लाम बांग्लादेश ने भी एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन बेबुनियाद आरोपों को दोहराया और ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
बैतुल मुक़र्रम नेशनल मस्जिद और शेर-ए-बांग्ला कृषि विश्वविद्यालय में भी प्रदर्शन हुए, जिससे सांप्रदायिक उकसावे का माहौल और बढ़ गया।
आरआरएजी के निदेशक सुहास चक्रमा ने कहा, “चिंताजनक रूप से, जशिमुद्दीन रहमानी, जो अल-कायदा से जुड़े अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के पूर्व नेता हैं और ब्लॉगर राजीब हैदर की हत्या व अन्य आतंकवादी गतिविधियों के लिए दोषी ठहराए जा चुके हैं, उन्हें बैतुल मुक़र्रम की रैली में भाग लेते हुए देखा गया। रहमानी की इस तरह की दोबारा सक्रियता स्पष्ट करती है कि यूनुस सरकार अतिवादी इस्लामी तत्वों को अप्रत्यक्ष समर्थन दे रही है।”
आरआरएजी ने यह भी आरोप लगाया कि 24 अक्टूबर को बांग्लादेश सेना ने खगड़ाचरी जिले के बोरमाचरी क्षेत्र में स्थित अर्ज्य कीर्ति बौद्ध मंदिर की भूमि पर अस्थायी सैन्य शिविर स्थापित करने के लिए कब्जा करने की कोशिश की।
यह घटना 28 सितंबर को हुई उस घटना के बाद सामने आई है, जब बांग्लादेश सेना ने खगड़ाचरी जिले के गुइमारा क्षेत्र में तीन युवकों को गोली मार दी थी। ये युवक उस समय विरोध कर रहे थे जब प्रशासन ने 23 सितंबर को 14 वर्षीय लड़की के सामूहिक दुष्कर्म में शामिल तीन मुस्लिम आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया था।
चक्रमा ने कहा, “आदिवासी लड़कियों के खिलाफ बढ़ती यौन हिंसा और अपराधों को लेकर लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। हाल में 5 मई को बंदरबन के थांची क्षेत्र में 29 वर्षीय आदिवासी महिला चिंगमा खियांग के साथ गैंगरेप और हत्या, तथा जुलाई 2025 में खगड़ाचरी जिले के भाईबोनचरा में एक त्रिपुरी हिंदू छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार जैसे मामलों में कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।”
उन्होंने कहा कि “धार्मिक अल्पसंख्यक लगातार भेदभाव का सामना कर रहे हैं। 21 अक्टूबर को बांग्लादेश यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (BUET) के छात्र श्रीशांत रॉय को सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। इसके अगले दिन, ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने उन्हें साइबर सुरक्षा अध्यादेश, 2025 के तहत जेल भेज दिया, जो अल्पसंख्यकों के खिलाफ न्याय प्रणाली के दुरुपयोग को दर्शाता है।”
इस बीच, असम पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने बांग्लादेश-आधारित आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के कई सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके नेटवर्क और मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है।
With inputs from IANS