खराब गुणवत्ता और बार-बार आने वाली तकनीकी खामियों से चीनी हथियारों पर घटा भरोसा: रिपोर्टBy Admin Sun, 02 November 2025 08:17 AM

ढाका — चीनी सैन्य उपकरणों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि हाल के वर्षों में चीन की कई रक्षा निर्यात परियोजनाएं तकनीकी खामियों और परिचालन विफलताओं से प्रभावित हुई हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के एफ-22पी फ्रिगेट्स में लगातार आ रही खराबियों, जेएफ-17 लड़ाकू विमानों में तकनीकी दिक्कतों और हाल ही में रेगिस्तानी इलाकों में स्काईशील्ड लेज़र सिस्टम के खराब प्रदर्शन ने चीन की रक्षा निर्यात क्षमता पर बड़ा असर डाला है।

ढाका स्थित लेंस एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, भले ही चीन दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है (अमेरिका, रूस और फ्रांस के बाद), फिर भी उसकी रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और रखरखाव प्रणाली पर गंभीर संदेह पैदा हो गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस गिरावट के कई मूल कारण हैं —

“चीनी सेना (पीएलए) में व्यापक भ्रष्टाचार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा लगातार की जा रही सफाई अभियान से उजागर हुआ है। इसके अलावा, औद्योगिक असमानता, सटीक घटकों और उन्नत सामग्रियों की कमी, रखरखाव और लॉजिस्टिक खामियां, खरीद प्रक्रिया में अनियमितताएं और राजनीतिक/प्रचार उद्देश्यों के लिए जल्दबाजी में प्रस्तुत क्षमताएं — ये सभी मिलकर चीनी रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं।”

रिपोर्ट में क्षेत्रीय रक्षा प्रकाशनों के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान को दिए गए शुरुआती एफ-22पी फ्रिगेट्स में बार-बार सेंसर और रडार दोष, इंजन की अधिक गर्मी, और स्नेहन प्रणाली की खराबी जैसी समस्याएं सामने आईं। इन खामियों के कारण जहाजों की परिचालन क्षमता प्रभावित हुई और कई बार उन्हें बंद रखना पड़ा।

रिपोर्ट के अनुसार,

“चीनी कंपनी ने खुद स्वीकार किया कि खराब गिम्बल असेंबली मोटर्स इस समस्या की जड़ हैं, जिन्हें अब तक बदला नहीं गया है। इस कारण पाकिस्तानी नौसेना को अपने चार फ्रिगेट्स सीमित क्षमताओं के साथ चलाने पर मजबूर होना पड़ा है, जिससे उनके कई प्रमुख मिशन प्रभावित हुए हैं।”

सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, म्यांमार और नाइजीरिया जैसे देशों में भी जेएफ-17 विमानों के साथ समस्याएं दर्ज की गई हैं — इनमें संरचनात्मक खामियां, कंपन संबंधी मुद्दे, और मिशन कंप्यूटर की खराबी शामिल हैं। कई देशों ने इन विमानों को “परिचालन के लिए अनुपयुक्त” बताते हुए अपने बेड़े को अस्थायी रूप से ग्राउंड कर दिया। रिपोर्ट में उल्लेख है कि जेएफ-17 की “कम सटीकता और सीमित हथियार वहन क्षमता” के कारण नाइजीरिया को इटली के एम-346 एफए फाइटर जेट खरीदने पड़े।

इसी तरह, सऊदी अरब में चीनी स्काईशील्ड लेज़र काउंटर-ड्रोन सिस्टम के प्रदर्शन को लेकर भी गंभीर चिंताएं सामने आईं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक,

“रेगिस्तानी परिस्थितियों में इस प्रणाली के प्रदर्शन में भारी गिरावट देखी गई, जिससे इसकी विश्वसनीयता और परिपक्वता पर संदेह गहरा गया।”

रिपोर्ट में कहा गया कि स्काईशील्ड प्रणाली को सऊदी अरब ने अपने भू-राजनीतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए खरीदा था, और उम्मीद थी कि यह कम लागत में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और डायरेक्टेड-एनर्जी वेपन तकनीक को एकीकृत समाधान देगी। लेकिन वास्तविक परिस्थितियों में इसकी विफलता ने चीनी हथियार परीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।

इसके अलावा, कई ग्राहक देशों और रक्षा विश्लेषकों ने चीनी हथियारों में बार-बार आने वाली खराबियों, स्पेयर पार्ट्स की कमी, और बिक्री के बाद कमजोर तकनीकी सहायता की शिकायतें सार्वजनिक रूप से की हैं। रिपोर्ट कहती है कि ये सभी कारक मिलकर चीनी रक्षा निर्यात पर भरोसे को कमजोर कर रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि खुद पीएलए मीडिया ने भी हाल में अपने लेखों में यह स्वीकार किया है कि “उपकरणों की गुणवत्ता सैनिकों के जीवन और मृत्यु से जुड़ा मुद्दा है,” और पूरे जीवनचक्र प्रबंधन को मजबूत करने की आवश्यकता है — जो परोक्ष रूप से चीनी हथियारों के परीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण में पिछली कमियों को दर्शाता है।

 

With inputs from IANS