
काठमांडू- नेपाल हाल के वर्षों में बढ़ते भ्रष्टाचार आरोपों से घिरा रहा है, विशेषकर उन परियोजनाओं में जिनमें चीनी ठेकेदारों या आपूर्तिकर्ताओं की भागीदारी रही है। ताजा विवाद नेपाल टेलीकॉम (NT) द्वारा खरीदे जाने वाले नए बिलिंग सिस्टम से जुड़ा है, जिसमें नेपाली सरकार की बहुमत हिस्सेदारी है।
5 अरब नेपाली रुपये का बिलिंग सिस्टम विवाद
18 मार्च को नेपाल टेलीकॉम ने करीब 5 अरब नेपाली रुपये की लागत वाले नए बिलिंग सिस्टम के लिए निविदाएं आमंत्रित कीं। इस टेंडर में शामिल दो चीनी कंपनियों में से केवल हुआवेई (Huawei) ही तकनीकी रूप से योग्य पाई गई। इससे आरोप लगने लगे कि तकनीकी विशिष्टताएं इस तरह तैयार की गई थीं कि केवल हुआवेई ही योग्य ठहर सके। हुआवेई पहले से ही नेपाल टेलीकॉम के कोर नेटवर्क को संभाल रही है।
दूसरी चीनी कंपनी व्हेल क्लाउड (Whale Cloud) हुआवेई से प्रतिस्पर्धा कर रही थी, लेकिन तकनीकी मूल्यांकन में ही बाहर हो गई।
हुआवेई का वित्तीय प्रस्ताव 24 सितंबर 2025 को खोला जाना था, लेकिन 22 सितंबर को नए संचार एवं सूचना तकनीक मंत्री जगदीश खरेल के पदभार ग्रहण करने के बाद इसे "विशेष परिस्थितियों" का हवाला देते हुए अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
जांच समिति का गठन
30 अक्टूबर को मंत्रालय ने पूर्व सचिव मणिराम गेलाल की अध्यक्षता में एक अध्ययन समिति बनाई, ताकि यह जांचा जा सके कि केवल हुआवेई ही तकनीकी मूल्यांकन में क्यों सफल हुआ।
20 नवम्बर को समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्री खरेल को सौंपी।
लोकप्रिय नेपाली न्यूज़ पोर्टल Online Khabar ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया कि बिड दस्तावेज़ खास तौर पर एक कंपनी और एक विशिष्ट मॉडल के अनुकूल तैयार किए गए थे। एक नेपाल टेलीकॉम अधिकारी ने बताया,
“दस्तावेज़ों के अध्ययन में स्पष्ट है कि तकनीकी स्पेसिफिकेशन एक विशेष कंपनी के एक विशेष मॉडल के लिए बनाए गए थे।”
मंत्री खरेल ने रिपोर्ट प्राप्त करते समय कहा कि वह खरीद प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, जिससे यह संकेत मिला कि हुआवेई की वित्तीय बोली खोले जाने की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है।
पहले भी हुआ था बिलिंग सिस्टम में भ्रष्टाचार का दावा
इससे पहले जून में भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (CIAA) ने नेपाल टेलीकॉम की पूर्व MD संगीता पहाड़ी, पूर्व MD सुनील पौडेल सहित 18 लोगों पर बिलिंग सिस्टम की खरीद एवं अनुबंध में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था।
उन्हें एक चीनी कंपनी एशिया इन्फो लिंकज टेक्नोलॉजीज को अत्यधिक महंगे दाम पर पुराना और महंगा वेरिस बिलिंग सिस्टम देने का आरोप लगा था। अब जब वह सिस्टम पुराना हो चुका है, टेलीकॉम नया सिस्टम खरीदना चाहता है—लेकिन यह प्रक्रिया भी विवादों से घिरी हुई है।
कुछ आलोचकों ने यह भी कहा है कि हुआवेई की कोर नेटवर्क और बिलिंग सिस्टम दोनों में भागीदारी हितों के टकराव (conflict of interest) का मामला हो सकता है।
पोखरा एयरपोर्ट प्रोजेक्ट में भी चीनी कंपनी पर आरोप
यह पहली बार नहीं है जब चीनी कंपनियों से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं।
मई में संसद की एक उपसमिति ने पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा परियोजना में अरबों रुपये के भ्रष्टाचार की आशंका जताई थी।
यह हवाईअड्डा चाइना CAMC इंजीनियरिंग कंपनी ने 215.96 मिलियन डॉलर में बनाया था—जिसका वित्तपोषण चीन के EXIM बैंक ने किया। राजस्व न मिलने से अब यह परियोजना नेपाल सरकार के लिए भारी आर्थिक बोझ बनती जा रही है।
1 जनवरी 2023 को उद्घाटन के लगभग तीन साल बाद भी हवाईअड्डा अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों को आकर्षित करने में नाकाम है।
वर्तमान में केवल नेपाल–चीन जॉइंट वेंचर हिमालयन एयरलाइंस ही पोखरा–ल्हासा रूट पर सप्ताह में एक उड़ान चला रही है।
With inputs from IANS