अमेरिका ने ईरान के तेल नेटवर्क पर कार्रवाई तेज की, भारत से जुड़ी शिपिंग कंपनियों के नाम शामिलBy Admin Fri, 19 December 2025 03:35 AM

वॉशिंगटन- ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को ईरान के गुप्त पेट्रोलियम शिपिंग नेटवर्क से जुड़े 29 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिए। इन प्रतिबंधों में भारत से जुड़ी कई कंपनियां और संचालन भी शामिल हैं, जिन पर सैकड़ों मिलियन डॉलर मूल्य के ईरानी तेल के परिवहन में शामिल होने का आरोप है।

अमेरिकी वित्त मंत्रालय (यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी) ने कहा कि यह कार्रवाई ईरानी शासन की उन आय धाराओं को रोकने के उद्देश्य से की गई है, जिनका उपयोग आतंकवाद और अन्य अवैध गतिविधियों के समर्थन में किया जाता है।

प्रमुख उप प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने कहा कि अमेरिका “ईरानी शासन की उस आय के प्रवाह को रोकने के लिए कदम उठा रहा है, जिसका इस्तेमाल आतंकवाद और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किया जाता है।”

ट्रेजरी विभाग के अनुसार, प्रतिबंधों के दायरे में मिस्र के कारोबारी हातेम एलसईद फरीद इब्राहिम साकर द्वारा संचालित कंपनियों और जहाजों का एक नेटवर्क भी शामिल है। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात, भारत, मार्शल आइलैंड्स और पनामा जैसे देशों में सक्रिय कई शिपिंग कंपनियों को भी सूचीबद्ध किया गया है। साकर से जुड़ी कंपनियां इन 29 में से सात जहाजों से संबंधित पाई गई हैं।

पिगॉट ने कहा, “यह कार्रवाई ईरान की उस क्षमता को और सीमित करती है, जिसके जरिए वह छिपे हुए और धोखाधड़ी वाले तरीकों से पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है।”

भारत से जुड़े जिन संस्थानों के नाम सामने आए हैं, उनमें बारबाडोस के झंडे वाले जहाज ‘फ्लोरा डोल्से’ का उल्लेख है, जिसका स्वामित्व और प्रबंधन भारत स्थित रुकबाट मरीन सर्विसेज कंपनी के पास है। इस जहाज पर अप्रैल 2025 से अब तक ईरान के लाखों बैरल फ्यूल ऑयल के परिवहन का आरोप है।

इसके अलावा पनामा के झंडे वाला जहाज ‘औरोरा’, जिसे भारत स्थित गोल्डन गेट शिप मैनेजमेंट संचालित करता है, पर नाफ्था और कंडेन्सेट सहित ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों के लाखों बैरल ढोने का आरोप लगाया गया है।

एक अन्य जहाज ‘रम्या’, जिसे भारत की दार्या शिपिंग प्राइवेट लिमिटेड संचालित और प्रबंधित करती है, पर सितंबर 2025 से अब तक 1 लाख बैरल से अधिक ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन का आरोप है।

ट्रेजरी के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) के अनुसार, प्रतिबंधित जहाज ईरान के तथाकथित “शैडो फ्लीट” का हिस्सा हैं, जो भ्रामक और धोखाधड़ी वाली शिपिंग प्रक्रियाओं के जरिए ईरानी तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है।

इन जहाजों और उनसे जुड़ी प्रबंधन कंपनियों पर कच्चे तेल के अलावा फ्यूल ऑयल, बिटुमेन, नाफ्था और कंडेन्सेट जैसे उत्पादों के परिवहन में शामिल होने का आरोप है।

ट्रेजरी ने यह भी कहा कि ये जहाज एक व्यापक प्रणाली का हिस्सा हैं, जिसमें अक्सर केवल एक-एक जहाज के स्वामित्व और प्रबंधन के लिए कंपनियां बनाई जाती हैं, ताकि वास्तविक लाभार्थी मालिकों की पहचान छिपाई जा सके और प्रतिबंधों से बचा जा सके। कई जहाज वर्षों से ईरानी पेट्रोलियम की ढुलाई से जुड़े रहे हैं, जिनमें 2025 के दौरान बड़े पैमाने पर खेपें शामिल हैं।

एक अलग बयान में, आतंकवाद और वित्तीय खुफिया मामलों के लिए ट्रेजरी के अवर सचिव जॉन के. हर्ली ने प्रशासन के व्यापक उद्देश्य को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, “जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार कह चुके हैं, अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने की अनुमति नहीं देगा। ट्रेजरी विभाग उस पेट्रोलियम आय से ईरानी शासन को वंचित करता रहेगा, जिसका उपयोग वह अपने सैन्य और हथियार कार्यक्रमों को वित्तपोषित करने में करता है।”

ट्रेजरी के अनुसार, ये नए प्रतिबंध कार्यकारी आदेश 13902 के तहत लगाए गए हैं, जो ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों को निशाना बनाता है। राष्ट्रपति ट्रंप के दोबारा पद संभालने के बाद से अब तक ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई में शामिल 180 से अधिक जहाजों पर प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं, जिससे निर्यातकों की लागत बढ़ी है और ईरान को प्रति बैरल मिलने वाली आय में कमी आई है।

 

With inputs from IANS