लंदन/नई दिल्ली: भारत ने यूनाइटेड किंगडम और मॉरिशस गणराज्य के बीच चागोस द्वीपसमूह — जिसमें डिएगो गार्सिया भी शामिल है — पर मॉरिशस की संप्रभुता की वापसी को लेकर हुए समझौते का गुरुवार को "ऐतिहासिक उपलब्धि" और "क्षेत्र के लिए सकारात्मक विकास" बताते हुए स्वागत किया है।
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया:
"भारत ने हमेशा मॉरिशस के चागोस द्वीपसमूह पर वैध दावे का समर्थन किया है। यह हमारी उपनिवेशवाद से मुक्ति, संप्रभुता के सम्मान और राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर सिद्धांत आधारित नीति के अनुरूप है। मॉरिशस का एक दृढ़ और लंबे समय से सहयोगी होने के नाते, भारत हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को सुदृढ़ करने तथा शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मॉरिशस और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर कार्य करता रहेगा।"
बयान में आगे कहा गया कि,
"चिरस्थायी चागोस विवाद का इस द्विपक्षीय संधि के माध्यम से औपचारिक समाधान एक मील का पत्थर है और क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह अक्टूबर 2024 में दोनों पक्षों के बीच हुई समझ की परिणति है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित व्यवस्था की भावना में मॉरिशस के उपनिवेशमुक्त होने की प्रक्रिया को पूर्ण करता है।"
ब्रिटेन ने गुरुवार को घोषणा की कि उसने मॉरिशस के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया है, जिससे हिंद महासागर में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यूके-यूएस सैन्य अड्डे डिएगो गार्सिया का भविष्य सुरक्षित होगा। यह अड्डा ट्रांस-अटलांटिक रक्षा और सुरक्षा साझेदारी में यूके का एक महत्वपूर्ण योगदान है।
ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय के अनुसार,
"अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे सभी 'फाइव आइज़' साझेदार, भारत सहित, इस समझौते का समर्थन करते हैं। वे मानते हैं कि डिएगो गार्सिया वैश्विक स्थिरता बनाए रखने और विरोधियों को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।"
डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डा बीते 50 वर्षों से यूके और उसके सहयोगियों की रक्षा में अहम भूमिका निभाता आ रहा है। नया समझौता इस अड्डे के संचालन को कम से कम अगले 100 वर्षों तक सुनिश्चित करता है और यह यूके की खुफिया तथा आतंकवाद विरोधी क्षमताओं की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।
प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा,
"यह अड्डा मध्य पूर्व, पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण एशिया में यूके और उसके सहयोगियों की सैन्य गतिविधियों के लिए प्रमुख केंद्र है। इसकी गहराई वाला बंदरगाह, हवाई पट्टी और उन्नत संचार व निगरानी प्रणालियां रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन क्षमताओं ने आईएस जैसे उच्च-प्राथमिकता वाले आतंकियों के खात्मे में भी मदद की है।"
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस समझौते की कानूनी आवश्यकता को ब्रिटेन की लगातार कई सरकारों ने स्वीकार किया है। पिछले शासन ने दो वर्षों में 13 में से 11 दौर की बातचीत की थी, जिन्हें वर्तमान सरकार ने अंतिम रूप दिया है।
डिएगो गार्सिया, चागोस द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है, जो हिंद महासागर के मध्य में स्थित है। यह अड्डा यूके और अमेरिका की समूचे मध्य पूर्व, अफ्रीका और इंडो-पैसिफिक में सैन्य मौजूदगी के लिए एक अद्वितीय साझा मंच प्रदान करता है।
With inputs from IANS