दोहा — कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को कहा कि सुप्रिया सुले के नेतृत्व में कतर पहुँचे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने वहां की शूरा परिषद के साथ एक उत्पादक और रचनात्मक चर्चा की। उन्होंने भारत की संप्रभुता की रक्षा के अधिकार का सशक्त रूप से पक्ष रखा।
यह प्रतिनिधिमंडल कतर में ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा करने के साथ-साथ पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और उसके खुले संरक्षण को उजागर करने पहुँचा है।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं:
मनीष तिवारी ने एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए लिखा:
"कतर की शूरा परिषद की माननीय उपाध्यक्ष शेखा हम्दा बिंत हसन अल सुलैती और उनके सहयोगियों के साथ विचारों का सार्थक आदान-प्रदान हुआ।"
रविवार को प्रतिनिधिमंडल ने कतर की शूरा परिषद से मुलाकात की, जहां उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद पर भारत की सख्त चिंता और उन देशों पर नकेल कसने की आवश्यकता जताई जो आतंकवाद को संरक्षण देते हैं।
मनीष तिवारी ने कहा:
"हमने यह स्पष्ट किया कि भारत एक 5000 साल पुरानी सभ्यता है — जहां विविध धर्मों और संस्कृतियों का संगम होता है।"
उन्होंने आगे कहा:
"भारत को पाकिस्तान की ओर से चलाए जा रहे कम लागत वाले छद्म युद्ध का शिकार नहीं बनने दिया जा सकता, जहां आतंकवाद को राजकीय नीति के रूप में प्रयोग किया जाता है। ऐसे में भारत को अपने संप्रभुता और सभ्यतागत मूल्यों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने का अधिकार है।"
कतर की सर्वोच्च विधायी संस्था शूरा परिषद ने भारत की बातों का निर्विवाद समर्थन किया और कहा कि
"आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसे जड़ से समाप्त किया जाना चाहिए।"
प्रतिनिधिमंडल ने कतर को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से बताया — जिसमें भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य कार्रवाई की थी। साथ ही पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन देने के दस्तावेज़ी प्रमाण भी साझा किए।
सुप्रिया सुले ने बैठक के बाद मीडिया से कहा कि
"कतर की संसद ने भारत के रुख का समर्थन किया और यह साझा विचार सामने आया कि आतंकवाद का मूल से उन्मूलन जरूरी है।"
उन्होंने यह भी बताया कि कतर के सांसदों की भारत जैसी ही सोच है — न केवल आतंकवाद के विरुद्ध, बल्कि भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता नीति को लेकर भी।
प्रतिनिधिमंडल ने कतर के प्रमुख समाचार पत्रों अल-शरक और पेनिन्सुला की संपादकीय टीमों से भी संवाद किया, जहां उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की नीतियों और सीमा पार आतंकवाद पर भारत की स्थिति स्पष्ट की।
इसके अलावा उन्होंने मिडिल ईस्ट काउंसिल फॉर ग्लोबल अफेयर्स का दौरा किया और सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध रणनीतियों पर चर्चा की।
With inputs from IANS