इस्लामाबाद/नई दिल्ली: पाकिस्तान, तुर्किये और अज़रबैजान के बीच बनता गठजोड़ जल्द ही और मजबूत होने की संभावना है। यह समीकरण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की ईरान यात्रा के बाद अज़रबैजान दौरे के दौरान और भी व्यापक हो सकता है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान, तुर्किये और अज़रबैजान का त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन अगले 48 घंटों में लाचिन शहर में होने की संभावना है। यह शहर रणनीतिक रूप से अज़रबैजान को अर्मेनिया से जोड़ता है। इस बैठक में रक्षा सहित कई क्षेत्रों में साझा रणनीति पर अहम फैसले लिए जा सकते हैं।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, "यह उच्चस्तरीय त्रिपक्षीय बैठक लाचिन शहर में आयोजित होगी, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक महत्व के लिए जाना जाता है। बैठक का उद्देश्य पाकिस्तान-भारत के बीच हालिया तनाव के बाद उत्पन्न क्षेत्रीय परिस्थितियों पर विचार करना, आपसी सहयोग के अवसर तलाशना और साझा भविष्य की रणनीति बनाना है।"
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन बुधवार को अज़रबैजान का दौरा करेंगे, इसकी पुष्टि तुर्की मीडिया ने मंगलवार को की।
शहबाज़ शरीफ़ सोमवार को तेहरान पहुंचे, इससे पहले उन्होंने इस्तांबुल का दौरा पूरा किया था। अज़रबैजान के बाद वे ताजिकिस्तान जाएंगे, जो उनकी चार देशों की त्वरित योजना वाली विदेश यात्रा का अंतिम पड़ाव है। यह दौरा भारत द्वारा "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी शिविरों को ध्वस्त किए जाने के बाद हो रहा है।
प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्री इशाक डार, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, और सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तारड़ भी यात्रा पर हैं।
रविवार को शरीफ़ ने एक महीने में दूसरी बार राष्ट्रपति एर्दोआन से मुलाकात की। इससे पहले 22 अप्रैल को भी एर्दोआन ने उन्हें अंकारा में मेज़बानी दी थी, उसी दिन पाहलगाम में आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। एर्दोआन फरवरी 2025 में भी पाकिस्तान की राजकीय यात्रा पर गए थे।
तुर्की और अज़रबैजान ने इस महीने भारत के साथ सैन्य तनाव के दौरान पाकिस्तान के प्रति खुले तौर पर समर्थन व्यक्त किया है।
पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक, सैन्य और धार्मिक ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तुर्की द्वारा विकसित "आसिसगार्ड सोंगार" ड्रोन का इस्तेमाल किया था, जिन्हें भारत की मजबूत वायु सुरक्षा प्रणाली ने निष्क्रिय कर दिया।
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान, जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ चुका है और उसके पास कुछ ही "विश्वसनीय मित्र" बचे हैं, अब भारत-विरोधी अभियान को एकजुट करने का प्रयास कर रहा है। वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन मुस्लिम देशों के नेता के रूप में अपनी छवि स्थापित करने की कोशिश में हैं।
गौरतलब है कि शरीफ़ इस साल फरवरी में भी बाकू की आधिकारिक यात्रा पर गए थे।
शरीफ़ की यात्रा से पहले उनके विशेष सहायक तारीक बजवा के नेतृत्व में एक अग्रिम दल पहले ही बाकू में मौजूद है और अज़रबैजान सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें कर रहा है।
सोमवार को प्रधानमंत्री शरीफ़ ने अज़रबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव को स्वतंत्रता दिवस (28 मई) की बधाई दी और भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान मिले समर्थन के लिए आभार प्रकट किया।
उन्होंने लिखा, "महामहिम, हम हालिया संकट के दौरान पाकिस्तान के प्रति अज़रबैजानी भाइयों के अटूट समर्थन के लिए आभारी हैं। वास्तव में, हम सच्चे भाई हैं जिनके दिल एक साथ धड़कते हैं और हमारे भविष्य आपस में जुड़े हैं। मैं आपकी खूबसूरत भूमि की यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित हूं।"
With inputs from IANS