नेपाल: हिंसक प्रदर्शन के दो महीने बाद फिर सड़कों पर उतरेगा राजतंत्र समर्थक समूह, कल करेंगे 'शांतिपूर्ण' प्रदर्शनBy Admin Wed, 28 May 2025 10:19 AM

काठमांडू: नेपाल में राजतंत्र की बहाली और देश को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर सक्रिय राजतंत्र समर्थक समूह 29 मई (गुरुवार) से एक बार फिर प्रदर्शन शुरू करने जा रहा है। यह फैसला दो महीने पहले हुई हिंसक झड़पों के ठीक बाद आया है, जब इसी मांग को लेकर हुए प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) के अध्यक्ष राजेन्द्र लिंगदेन ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह प्रदर्शन पूरी तरह से "शांतिपूर्ण, अनुशासित और सत्याग्रह के स्वरूप में" होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासन से अनुमति न मिलने पर भी यह प्रदर्शन राजधानी काठमांडू के रत्नपार्क में ही किया जाएगा।

लिंगदेन ने कहा, "हमारा प्रदर्शन हिंसक नहीं होगा। यह पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में रहेगा और रिंग रोड के बाहर नहीं जाएगा। यदि प्रशासन अनुमति नहीं देता है, तब भी हम रत्नपार्क में प्रदर्शन करेंगे।"

लिंगदेन ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली उनकी पार्टी के कार्यक्रम में अवरोध डालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि ओली की पार्टी नेकपा (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने 29 मई को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक काठमांडू की सड़कों पर कब्ज़ा करने की योजना बनाई है, जिससे टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।

उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री स्वयं अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें या तो अपना बयान वापस लेना चाहिए या इस्तीफा देना चाहिए। हम रत्नपार्क में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन प्रधानमंत्री की पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को वहीं बुला रही है जिससे टकराव हो सकता है। पत्रकारों को निष्पक्ष रिपोर्टिंग करनी चाहिए।"

सूत्रों के अनुसार, इस प्रदर्शन में कई राजतंत्र समर्थक और हिंदू राष्ट्र समर्थक समूह संयुक्त रूप से भाग लेंगे। प्रधानमंत्री ओली ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से काठमांडू की सड़कों की जिम्मेदारी संभालने के निर्देश दिए हैं।

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल (राप्रपा-एन) के अध्यक्ष कमल थापा ने भी ऐलान किया कि अब तक बिखरे हुए और निष्क्रिय रहे राजतंत्रवादी समूह एकजुट होकर साझा एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं।

थापा ने कहा, "हम पूरी निष्क्रियता की स्थिति से बाहर निकलकर अब एकजुट हो गए हैं। यह समय राजतंत्र, एकात्मकता और हिंदू राष्ट्र की पुनर्स्थापना के लिए सबसे अनुकूल है।"

थापा ने नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों पर राजतंत्रवादी विचारधारा को कमजोर करने का आरोप भी लगाया।

उन्होंने कहा कि यदि 2008 में समाप्त की गई राजतंत्र प्रणाली को बहाल किया जाता है, तो पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के पोते हृदयेन्द्र शाह को आम सहमति के आधार पर राजा बनाया जा सकता है।

थापा ने कहा, "अगर लोग मानते हैं कि ज्ञानेन्द्र शाह अब वृद्ध हो चुके हैं, तो आम सहमति से किसी उत्तराधिकारी को चुनना चाहिए। यदि हृदयेन्द्र पर सहमति बनती है, तो ज्ञानेन्द्र को भी उसे स्वीकार करना चाहिए। राजतंत्र व्यक्ति पर नहीं, विचारधारा पर आधारित है। हमारा मानना है कि उत्तराधिकारी पृथ्वीनारायण शाह के वंशजों में से ही होना चाहिए। कौन होगा, यह प्रमुख विषय नहीं है।"

गौरतलब है कि 28 मार्च को काठमांडू के टिंकुने इलाके में हुए राजतंत्र समर्थक प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों प्रदर्शनकारी तथा सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे। हिंसा के कारण नेपाल में लगभग 46 करोड़ नेपाली रुपये का नुकसान भी हुआ था।

 

With inputs from IANS