अमेरिका की कार्रवाई से पाकिस्तानी सेना और असीम मुनीर को बड़ा झटकाBy Admin Fri, 18 July 2025 10:17 AM

नई दिल्ली — अमेरिका ने आधिकारिक रूप से द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) के रूप में चिन्हित किया है। यह कदम पाकिस्तानी सेना और उसके प्रमुख जनरल असीम मुनीर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

इंटेलिजेंस इंटरसेप्ट्स, मानव स्रोतों और डिजिटल फॉरेंसिक साक्ष्यों से साफ़ हुआ है कि TRF, पाकिस्तानी सैन्य तंत्र — विशेष रूप से सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर — के सीधे निर्देशों पर काम कर रहा है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला ऐसे समय हुआ जब पाकिस्तान में घरेलू अस्थिरता और असीम मुनीर की लोकतांत्रिक ताकतों के दमन को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना बढ़ रही थी। इसका असली मकसद ध्यान भटकाना और मुद्दों से नजरें फेरना था।

अमेरिका के इस कदम से भारत के ऑपरेशन सिंदूर — जिसमें LoC पार आतंकी लॉन्चपैड्स को निष्क्रिय किया गया — की वैधता को वैश्विक मान्यता मिली है।

यह कार्रवाई भारत के लिए एक कूटनीतिक और रणनीतिक जीत है और पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग कर उसकी सैन्य-औद्योगिक आतंक संरचना को बेनकाब करती है।

TRF ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक जघन्य आतंकी हमला किया था, जिसमें धार्मिक पहचान के आधार पर 26 लोगों को निशाना बनाया गया।

रक्षा अधिकारियों का कहना है कि यह हमला कोई एकल घटना नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित एक व्यापक रणनीति का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य क्षेत्र को अस्थिर करना और स्थानीय विद्रोह की झूठी कहानी गढ़ना था।

TRF का उदय अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद हुआ था। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इसे पाकिस्तान की सूचना युद्ध मशीनरी द्वारा "स्थानीय विद्रोही" के रूप में प्रचारित किया गया, जबकि TRF असल में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही नया रूप है।

TRF का गठन पाकिस्तान की पुरानी रणनीति का उदाहरण है — आतंक संगठनों को नया नाम देकर अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचना और सीमा पार आतंकवाद को स्थानीय संघर्ष की तरह पेश करना।

रक्षा सूत्रों का कहना है कि TRF भले ही दिखावे में अलग हो, लेकिन इसकी लॉजिस्टिक, वित्तीय और संचालन प्रणाली पूरी तरह LeT के नियंत्रण में है। इसके नेता, हथियारों की खरीद, ट्रेनिंग और सुरक्षित ठिकाने सभी LeT के जैसे हैं — जो अधिकतर पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित हैं और ISI की मदद से चलते हैं।

इसका नाम बदलने का मकसद FATF की नजर से बचना, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाव, जिम्मेदारी से बचना और स्थानीय सहानुभूति पाना था — लेकिन अब यह छल खत्म हो गया है।

अब अमेरिका ने TRF को FTO और SDGT घोषित कर दिया है, साथ ही पहलगाम हमले में इसकी सीधी संलिप्तता की पुष्टि की है।

अमेरिका ने TRF के LeT से संबंध और पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की भूमिका को भी उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि असीम मुनीर ने इस हमले के जरिए पाकिस्तान में PTI पर हो रहे दमन और अपनी खुद की फील्ड मार्शल पद की अवैध कोशिश से ध्यान भटकाने की कोशिश की।

पाक सेना अब एक राष्ट्रीय संस्था नहीं रही, बल्कि एक राज्य-प्रायोजित आतंक सिंडिकेट बन गई है, जो सत्ता की भूख से संचालित हो रही है।

TRF का "स्थानीयता" का नकाब उतर चुका है। यह सिर्फ LeT का नया नाम है, और असीम मुनीर इसके रचयिता हैं।

भारत का ऑपरेशन सिंदूर केवल प्रतिशोध नहीं था — यह एक पूर्व-सावधानी, वैध और संतुलित कार्रवाई थी।

अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से लोकतांत्रिक देश, पाकिस्तान को आतंकवाद का निर्यातक समझें — न कि इसका शिकार।

भारत लंबे समय से कहता आया है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद स्थानीय नहीं, बल्कि आयातित है।

TRF, LeT का नया मुखौटा है — और असीम मुनीर उस खूनी नाटक के निर्देशक।

भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और आतंक के हर एजेंट को — चाहे वह सीमा पार हो या कूटनीतिक स्तर पर — निष्क्रिय करने के लिए कार्रवाई करता रहेगा।

 

With inputs from IANS