
पेरिस — फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने घोषणा की है कि फ्रांस सितंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र (UNGA 80) के दौरान फिलीस्तीन को आधिकारिक रूप से एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा।
मैक्रों ने गुरुवार को अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, "इस समय सबसे जरूरी बात है गाजा में युद्ध को समाप्त करना और वहां के आम नागरिकों को राहत पहुंचाना।"
उन्होंने तत्काल संघर्षविराम, सभी बंधकों की रिहाई, और गाजा के लोगों के लिए बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। (स्रोत: शिन्हुआ)
फ्रांस के इस कदम के पीछे की व्यापक सोच को स्पष्ट करते हुए मैक्रों ने कहा, "हमें फिलीस्तीन राष्ट्र का निर्माण करना होगा, उसकी स्थिरता सुनिश्चित करनी होगी, और यह सुनिश्चित करना होगा कि वह अपने निरस्त्रीकरण को स्वीकार करे और इज़राइल को पूर्ण मान्यता देकर पूरे मध्य पूर्व की सुरक्षा में योगदान दे।"
फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को लिखे एक औपचारिक पत्र में मैक्रों ने कहा कि दो-राष्ट्र समाधान ही फिलीस्तीनियों की वैध आकांक्षाओं को पूरा करने, आतंकवाद और हिंसा को समाप्त करने, तथा इज़राइल और पूरे क्षेत्र में स्थायी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने का एकमात्र व्यवहारिक रास्ता है।
यह घोषणा अप्रैल में दिए गए मैक्रों के उस बयान के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने कहा था कि फ्रांस जून में न्यूयॉर्क में सऊदी अरब के साथ सह-अध्यक्षता में होने वाले अंतरराष्ट्रीय फिलीस्तीन सम्मेलन में फिलीस्तीन को मान्यता देगा। हालांकि, अमेरिका के दबाव में यह सम्मेलन जुलाई के अंत तक टाल दिया गया।
मैक्रों ने दोहराया, "इस समय सबसे जरूरी है कि गाजा में युद्ध रोका जाए और नागरिकों की मदद की जाए।"
यह बयान ऐसे समय में आया है जब गाजा में इज़रायली सैन्य कार्रवाई और वहां भुखमरी की स्थिति को लेकर वैश्विक नाराज़गी तेज़ हो रही है।
फ्रांस, G7 (Group of Seven) देशों में पहला देश बन जाएगा — जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, जापान और इटली शामिल हैं — जो फिलिस्तीन को आधिकारिक मान्यता देगा।
फ्रांस के इस फैसले से इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भड़क गए। उन्होंने बयान जारी कर कहा, "हम राष्ट्रपति मैक्रों के इस फैसले की कड़ी निंदा करते हैं कि वे 7 अक्टूबर 2023 के नरसंहार के बाद फिलीस्तीन को मान्यता दे रहे हैं।" उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र फिलीस्तीनी राष्ट्र "इज़राइल को नष्ट करने का लॉन्चपैड" बन सकता है।
इज़राइल लगातार फ्रांस के इस कदम का विरोध करता आया है। उसका कहना है कि इससे हमास को इनाम मिलेगा, और उसने मैक्रों पर यहूदी राज्य के खिलाफ एक नया "धार्मिक युद्ध" छेड़ने का आरोप लगाया। दोनों देशों के संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं और अब और बिगड़ने की आशंका है।
यह घोषणा उसी दिन हुई जब अमेरिका और इज़राइल ने कतर में चल रही गाजा संघर्षविराम वार्ता से खुद को अलग कर लिया और हमास पर ईमानदारी से बातचीत न करने का आरोप लगाया।
With inputs from IANS