
नई दिल्ली – फिलिपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर 4 से 8 अगस्त तक भारत की राजकीय यात्रा पर आएंगे। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा और समुद्री सुरक्षा समेत कई क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना है। राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी।
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि राष्ट्रपति मार्कोस के साथ उनकी पत्नी फर्स्ट लेडी लुईस अरानेटा मार्कोस और एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल आएगा, जिसमें कई कैबिनेट मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य व्यक्ति, और व्यापार प्रतिनिधि शामिल होंगे। नई दिल्ली के अलावा, राष्ट्रपति बेंगलुरु भी जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मार्कोस के बीच 5 अगस्त को द्विपक्षीय वार्ता होगी। इसके अलावा, वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे, और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी शिष्टाचार भेंट करेंगे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और फिलिपींस के बीच नवंबर 1949 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। तब से दोनों देशों ने व्यापार और निवेश, रक्षा, समुद्री सहयोग, कृषि, स्वास्थ्य, फार्मास्युटिकल्स, और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में मजबूत साझेदारी विकसित की है। दोनों देश आसियान के साथ भारत की व्यापक रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से क्षेत्रीय स्तर पर भी मिलकर कार्य करते हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा, "फिलिपींस के साथ भारत के संबंध हमारे ‘एक्ट ईस्ट नीति’, ‘विजन महासागर’ और इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। राष्ट्रपति मार्कोस की यह राजकीय यात्रा भारत-फिलिपींस राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है।"
भारत और फिलिपींस के बीच रक्षा सहयोग के तहत भारतीय नौसेना के जहाज अक्सर फिलिपींस का दौरा करते रहे हैं और भारत ने अपने बंदरगाहों पर जहाजों के रखरखाव की सुविधा भी दी है।
30 जुलाई को, भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस मैसूर, आईएनएस किल्टन और आईएनएस शक्ति का फिलिपींस नौसेना द्वारा उनके बंदरगाह आगमन पर सद्भावनापूर्ण स्वागत किया गया।
सिंगापुर में पिछले साल शांगरी-ला डायलॉग में दिए गए भाषण में, राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर ने कहा था कि फिलिपींस भारत जैसे सहयोगियों के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है।
विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को एक महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा कि यह दोनों देशों को भविष्य की साझेदारी का खाका तैयार करने और आंचलिक व वैश्विक मुद्दों पर साझा हितों पर चर्चा का अवसर देगा।
With inputs from IANS