
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने अपने पहले मेड-इन-इंडिया इलेक्ट्रिक वाहन e-Vitara SUV को लॉन्च करने की घोषणा की है। गुजरात स्थित उसके उन्नत प्लांट से यह उत्पादन होगा, जिसे अब दुनिया के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल निर्माण केंद्रों में से एक के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस संयंत्र की वार्षिक उत्पादन क्षमता 10 लाख यूनिट्स आंकी गई है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सुविधा सुजुकी का वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (EV) उत्पादन केंद्र बनेगी, जहाँ से जापान और यूरोप जैसे विकसित बाज़ारों सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाएगा। यह कदम भारत की उस दृष्टि के अनुरूप है जिसमें वह खुद को वैश्विक ऑटो हब के रूप में स्थापित करना चाहता है।
सुजुकी का भारत में निवेश बढ़ाने का निर्णय ऐसे समय आया है जब वैश्विक ईवी बिक्री धीमी हो रही है और चीन जैसे बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा कड़ी हो गई है। लेकिन भारत अपने किफायती उत्पादन, बड़े पैमाने और बढ़ती तकनीकी क्षमताओं—जैसे 5G-आधारित स्मार्ट वाहन और स्वदेशी बैटरी निर्माण—की वजह से वैश्विक ऑटो वैल्यू चेन में नेतृत्व का अवसर प्रदान करता है।
फिलहाल भारत के पैसेंजर वाहन बाज़ार में ईवी की हिस्सेदारी एकल अंक में है, लेकिन सरकारी नीतियां इस अंतर को तेजी से बदल रही हैं। केंद्र सरकार की FAME-II योजना (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स), 11,500 करोड़ रुपये के बजट के साथ, जून 2025 तक 16 लाख से अधिक ईवी (ई-बस, ई-टू-व्हीलर और ई-थ्री-व्हीलर) को समर्थन दे चुकी है। इसके अलावा 9,332 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों के लिए 912.5 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से लगभग 8,900 पहले ही चालू हो चुके हैं।
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाएँ भी इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं—25,938 करोड़ रुपये एडवांस्ड ऑटोमोटिव तकनीकों के लिए और 18,100 करोड़ रुपये एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज के लिए। इससे ईवी कंपोनेंट्स का स्थानीयकरण होगा और आयात पर निर्भरता घटेगी। 2025 की शुरुआत तक एसीसी योजना के तहत 40 GWh बैटरी उत्पादन की क्षमता आवंटित की जा चुकी थी, जिसका लक्ष्य पाँच वर्षों में 60% घरेलू वैल्यू एडिशन हासिल करना है।
सरकार का यह जोर केवल निजी वाहनों तक सीमित नहीं है। पीएम ई-बस सेवा योजना, 20,000 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ, 10,000 इलेक्ट्रिक बसें पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत उतारने का लक्ष्य रखती है, जिनमें से 7,293 बसें 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए पहले ही मंज़ूर हो चुकी हैं। इसी तरह पीएम ई-ड्राइव पहल भारत का पहला प्रत्यक्ष प्रोत्साहन कार्यक्रम है, जो इलेक्ट्रिक ट्रकों के साथ ई-टू-व्हीलर, ई-थ्री-व्हीलर और ई-एम्बुलेंस को भी कवर करता है। अब तक 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी जा चुकी है।
भारत का ईवी बाज़ार पहले ही तेजी से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024–25 में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बिक्री 21% बढ़कर 11.49 लाख यूनिट्स तक पहुँच गई। सरकार ने 2030 तक 30% ईवी हिस्सेदारी का लक्ष्य रखा है, जो वैश्विक EV30@30 पहल के अनुरूप है। साथ ही उसी वर्ष तक एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य भी रखा गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुजुकी के हंसलपुर संयंत्र में e-Vitara का उद्घाटन केवल एक प्रतीकात्मक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है। इस संयंत्र में अब हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड का स्वदेशी उत्पादन भी शुरू हो चुका है, जिससे बैटरी वैल्यू का 80% से अधिक स्थानीयकरण सुनिश्चित होगा। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।
With inputs from IANS