मजबूत घरेलू खपत और सरकारी खर्च से FY26 में भारत की विकास दर रहेगी सुदृढ़By Admin Mon, 01 September 2025 06:29 AM

नई दिल्ली- अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती से जुड़े जोखिमों के बावजूद, भारत की आर्थिक वृद्धि वित्त वर्ष 2026 में मजबूत घरेलू निजी खपत और सहायक सरकारी खर्च के कारण स्वस्थ रहने की उम्मीद है। यह जानकारी क्रिसिल की एक रिपोर्ट में सोमवार को दी गई।

क्रिसिल का मानना है कि वित्त वर्ष 2026 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का मुख्य चालक निजी खपत होगी। रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, हालांकि इसमें कुछ नकारात्मक जोखिम भी मौजूद हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में निजी खपत को चार प्रमुख कारक मजबूती देंगे।

  1. अनुकूल मानसून: अच्छी बारिश कृषि क्षेत्र और ग्रामीण आय को सहारा देगी। 28 अगस्त तक मानसून दीर्घावधि औसत का 106 प्रतिशत रहा है और 22 अगस्त तक खरीफ बुवाई सालाना आधार पर 3.4 प्रतिशत अधिक रही।

  2. खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: बेहतर कृषि उत्पादन से खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी, जिससे घरों के बजट में विवेकाधीन खर्च के लिए अधिक जगह बनेगी। चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-जुलाई औसत) में मुद्रास्फीति 2.4 प्रतिशत रही है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 4.6 प्रतिशत थी।

  3. आरबीआई की मौद्रिक नीतियां: भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2025 में अब तक रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती की है और सितंबर से दिसंबर के बीच नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को चार चरणों में घटाने की योजना बनाई है। इससे शहरी खपत को बढ़ावा मिलेगा।

  4. राजकोषीय समर्थन: आयकर राहत और ग्रामीण योजनाओं पर बढ़ते सरकारी खर्च से भी निजी खपत को प्रोत्साहन मिलेगा। नए कर प्रणाली के तहत आयकर दरों में कटौती से मध्यम वर्ग की उपलब्ध आय बढ़ेगी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संरचना में प्रस्तावित बदलाव, जिससे कुछ उपभोक्ता क्षेत्रों में कर घट सकता है, इस वित्त वर्ष की वृद्धि में सहायक हो सकता है। हालांकि इसका असर अभी तय नहीं है क्योंकि बदलाव अंतिम रूप में नहीं आए हैं।

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर सालाना आधार पर 7.8 प्रतिशत रही, जो पांच तिमाहियों में सबसे ऊंची है। उच्च आधार प्रभाव के बावजूद घरेलू निजी खपत में मजबूती रही, जिससे विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिला।

पहली तिमाही में सरकारी खर्च में तेजी से इजाफा हुआ, जिससे सरकारी खपत व्यय और स्थिर निवेश दोनों मजबूत रहे। वहीं, अमेरिका में टैरिफ बढ़ने की आशंका के चलते निर्यातकों द्वारा अग्रिम रूप से माल भेजे जाने से निर्यात वृद्धि भी बढ़ी।

 

With inputs from IANS