
मुंबई- ब्रेंट क्रूड की कीमतें फिलहाल स्थिर बनी हुई हैं और 67-69 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में कारोबार कर रही हैं। वैश्विक स्तर पर किसी बड़े नए कारक के न होने और भारत की रूसी तेल खरीदारी के कारण कीमतों पर नियंत्रण बना हुआ है। यह जानकारी एमके वेल्थ मैनेजमेंट लिमिटेड (एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की वेल्थ मैनेजमेंट इकाई) की रिपोर्ट में दी गई है।
भारत, जो कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है, लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि उसके लिए नागरिकों को सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश का कच्चे तेल का आयात फिलहाल लगभग 15 लाख बैरल प्रतिदिन है और यह स्तर स्थिर रहने की उम्मीद है। इसमें रूसी आपूर्ति लागत को काबू में रखने में अहम भूमिका निभा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ महीनों में अमेरिकी प्रतिबंधों और शुल्क नीतियों का रुख तय करेगा कि तेल बाजार किस दिशा में जाएगा। इस बीच चीन भी अपनी घरेलू मांग पूरी करने के लिए रूसी तेल की खरीद बढ़ा रहा है।
भारत और चीन दोनों ही रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीद रहे हैं, जिससे कीमतों का मौजूदा दायरे में बने रहना संभावित है। यह प्रवृत्ति तेल आयात करने वाले देशों के लिए राहत लेकर आई है।
भारत के लिए कम ऊर्जा लागत खास महत्व रखती है क्योंकि यह महंगाई को नियंत्रित करने और समग्र अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में सहायक है। रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा का मुद्दा फिर से केंद्र में आने के बीच, भारत की रणनीति यह दर्शाती है कि वह सस्ती कच्चे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित कर भू-राजनीतिक बदलाव और घरेलू आर्थिक प्राथमिकताओं के बीच संतुलन बनाए हुए है।
इस बीच, अमेरिका के ऊर्जा सचिव क्रिस राइट ने भारत को “शानदार सहयोगी” बताते हुए उसकी प्रशंसा की और दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को और गहरा करने की वकालत की।
न्यूयॉर्क में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राइट ने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, अमेरिका का शानदार सहयोगी है, तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और एक बेहद गतिशील समाज है। यहां ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है क्योंकि लोग अपनी समृद्धि और अवसरों को बढ़ा रहे हैं। मैं भारत का बड़ा प्रशंसक हूं, हमें भारत से बहुत लगाव है।”
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी भारत-अमेरिका ऊर्जा व्यापार के विस्तार की वकालत की।
With inputs from IANS