2025-26 में भारत का एफडीआई प्रवाह 100 अरब डॉलर पार कर सकता है: वित्त मंत्रालयBy Admin Sat, 27 September 2025 04:16 AM

नई दिल्ली - भारत में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह 2025-26 में 100 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है। वित्त मंत्रालय की शुक्रवार को जारी मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) में भारत में सकल एफडीआई 25.2 अरब डॉलर रहा, जो पिछली साल की समान तिमाही (22.8 अरब डॉलर) की तुलना में 10.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्शाता है। यदि यह रुझान आगे भी जारी रहता है तो वार्षिक सकल एफडीआई लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, इक्विटी इनफ्लो में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जबकि मुनाफ़े की वापसी (repatriations) का स्तर Q1 FY25 जैसा ही बना हुआ है। नतीजतन, शुद्ध एफडीआई प्रवाह Q1 FY26 में 4.9 अरब डॉलर रहा। इसके साथ ही जून 2025 में सकल एफडीआई चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।

पहली तिमाही (Q1 FY26) में भारत का चालू खाता घाटा घटकर 2.4 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.2%) रहा, जबकि Q1 FY25 में यह 8.6 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.9%) था। इसका मुख्य कारण अदृश्य प्राप्तियों (invisibles) में वृद्धि रही, जिसमें सबसे बड़ा योगदान रेमिटेंस का है।

शुद्ध सेवा प्राप्तियां Q1 FY26 में बढ़कर 47.9 अरब डॉलर हो गईं, जबकि Q1 FY25 में यह 39.7 अरब डॉलर थीं—यह साल-दर-साल 20.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाती है। वहीं, रेमिटेंस प्रवाह Q1 FY26 में 33.2 अरब डॉलर रहा, जो 16.1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि है। अब यह कुल चालू खाते की प्राप्तियों का 13 प्रतिशत हिस्सा है और घरेलू खपत व व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।

अगस्त 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) से 2.3 अरब डॉलर की शुद्ध निकासी दर्ज की गई, जिसमें से 4 अरब डॉलर की निकासी इक्विटी से हुई। हालांकि, ऋण खंड (debt segment) में 1.4 अरब डॉलर के शुद्ध प्रवाह से इसका आंशिक संतुलन हुआ।

12 सितम्बर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 703 अरब डॉलर पर था, जो 11.6 महीनों का आयात कवर और मार्च 2025 के अंत तक भारत के कुल बाहरी ऋण का लगभग 94.8 प्रतिशत कवर करता है।

रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया कि शुल्क असमंजस, भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसे लगातार झटकों ने वैश्विक व्यापार की दिशा को बदल दिया है। पहले ऐसे हालात अस्थायी और सीमित होते थे, लेकिन 2025 में वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितता अभूतपूर्व स्तर तक पहुंच गई, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

 

With inputs from IANS