आरबीआई गाइडलाइंस: 4 अक्टूबर से बैंकों में चेक उसी दिन होंगे क्लियरBy Admin Fri, 03 October 2025 05:57 AM

नई दिल्ली — भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नए निपटान ढांचे के तहत निजी क्षेत्र के बैंक, जिनमें एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक शामिल हैं, ने घोषणा की है कि वे 4 अक्टूबर से चेक का निपटान (क्लियरेंस) उसी दिन करना शुरू करेंगे। इस कदम का उद्देश्य भुगतान को तेज़ और सुरक्षित बनाना है।

नए प्रावधानों के अनुसार, 4 अक्टूबर से जमा किए गए चेक कुछ घंटों में ही उसी दिन क्लियर हो जाएंगे। बैंकों ने ग्राहकों को सलाह दी है कि वे पर्याप्त बैलेंस रखें ताकि चेक बाउंस न हों और चेक में सभी विवरण सही ढंग से भरें, जिससे देरी या अस्वीकृति से बचा जा सके।

ग्राहकों को पॉज़िटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) अपनाने की भी सलाह दी गई है, जो सुरक्षा को बढ़ाता है। इसमें 50,000 रुपये से अधिक राशि के चेक जमा करने से कम से कम 24 कार्य घंटे पहले खातेधारक को बैंक को खाते का नंबर, चेक नंबर, तारीख, राशि और लाभार्थी का नाम जैसी जानकारी उपलब्ध करानी होगी।

जब चेक बैंक में प्रस्तुत होगा, तो बैंक इन विवरणों का मिलान करेगा। यदि सब कुछ सही पाया गया तो चेक क्लियर होगा, अन्यथा अनुरोध अस्वीकार कर दिया जाएगा और चेक जारी करने वाले को दोबारा जानकारी जमा करनी होगी।

ग्राहकों को चेक से संबंधित जानकारी विशेष रीजनल ईमेल पते पर भेजनी होगी। बैंक ग्राहकों को विवरण प्राप्त होने पर एक पुष्टि संदेश भेजेगा।

वर्तमान में बैंक चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) का उपयोग करते हैं, जिसमें चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज और उसकी जानकारी भुगतान करने वाले बैंक को भेज दी जाती है। हालांकि, जब चेक एटीएम या ड्रॉप बॉक्स में जमा किया जाता है तो निपटान आमतौर पर दो कार्य दिवस लेता है।

आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि 5 लाख रुपये से अधिक राशि के चेक के लिए पॉज़िटिव पे सिस्टम अनिवार्य होगा, जबकि 50,000 रुपये से ऊपर के चेक के लिए इसकी सख़्त अनुशंसा की गई है। पॉज़िटिव पे से सत्यापित चेक आरबीआई के विवाद निपटान तंत्र के अंतर्गत भी सुरक्षित रहेंगे।

आरबीआई के अनुसार, चरण 1 के तहत सतत क्लियरिंग और सेटलमेंट की शुरुआत 4 अक्टूबर 2025 से होगी, जबकि चरण 2 की शुरुआत 3 जनवरी 2026 से होगी।

ग्राहकों को सलाह दी गई है कि चेक में लिखी राशि शब्दों और अंकों में समान होनी चाहिए, तारीख मान्य होनी चाहिए, और नाम या राशि में कटिंग या ओवरराइटिंग न हो। साथ ही, हस्ताक्षर बैंक के रिकॉर्ड से मेल खाने चाहिए।

 

With inputs from IANS