विश्व अर्थव्यवस्था में स्थिरता की ताकत बना भारत: वैश्विक विशेषज्ञBy Admin Sat, 04 October 2025 05:57 AM

नई दिल्ली। वैश्विक आर्थिक विशेषज्ञों ने शुक्रवार को भारत की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत आज विश्व अर्थव्यवस्था में एक स्थिरता प्रदान करने वाली शक्ति बनकर उभर रहा है। विशेषज्ञों ने यह भी जोर दिया कि भारत की विकास गाथा को और मजबूत बनाने के लिए लगातार सुधार आवश्यक हैं।

यह विचार कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 के चौथे संस्करण के दौरान सामने आए, जिसमें दुनिया भर से अर्थशास्त्री, उद्योगपति और राजनेता शामिल हुए।

यूके हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य लॉर्ड करण बिलिमोरिया ने सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा,
“यह मेरा पहला अवसर है जब मैं कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में भाग ले रहा हूं। यह भारत की आर्थिक स्थिति और वैश्विक चुनौतियों व अवसरों पर चर्चा करने के लिए उत्कृष्ट मंच साबित हुआ है।”

बैंक ऑफ फ्रांस के मानद गवर्नर और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के पूर्व अध्यक्ष जीन-क्लॉड ट्रिशे ने कहा कि भारत अपने संविधान में निहित सपनों — न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक — को स्थायी आर्थिक विकास के माध्यम से ही पूरा कर सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि न्याय प्रणाली में सुधार केवल न्यायाधीशों के वेतन पर खर्च करने से नहीं होगा, बल्कि निवेश जोखिमों को कम करने से होगा, जिससे अरबों डॉलर की बचत संभव है।

जीन-पियरे लांडो, जो साइंस पों (पेरिस) में प्रोफेसर और बैंक ऑफ फ्रांस के पूर्व डिप्टी गवर्नर हैं, ने बताया कि वह लगातार तीन वर्षों से इस सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं और उन्होंने देखा है कि भारत वैश्विक भूमिका में और अधिक आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा,
“भारत धीरे-धीरे, बिना आक्रामक हुए, अपने भविष्य और विश्व अर्थव्यवस्था में स्थिर भूमिका को लेकर अधिक आत्मविश्वासी हो रहा है। यह देखकर मैं प्रभावित हूं।”

लांडो ने डिजिटल करेंसी के अवसरों और खतरों पर भी चर्चा की। उनके अनुसार, डिजिटल मुद्रा से बिना बैंक वाले लोगों को वित्तीय सेवाएं मिल सकती हैं, लेकिन इसके लिए मजबूत सार्वजनिक अवसंरचना होना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम पहले से ही विश्व स्तर पर एक मानक माना जाता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान में दुनिया अनिश्चितता और अस्थिरता के दौर से गुजर रही है, ऐसे में निवेश और विकास के लिए स्थिरता और पूर्वानुमेयता बेहद आवश्यक है।

लांडो ने कहा कि कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव जैसे सम्मेलन इन मुद्दों पर चर्चा और समाधान तैयार करने के लिए एक उपयुक्त मंच उपलब्ध कराते हैं।

 

With inputs from IANS