आरबीआई कर सकता है एक और दर कटौती; जीएसटी सुधार और त्योहारी खर्च से मिलेगी विकास को रफ्तारBy Admin Tue, 07 October 2025 06:47 AM

नई दिल्ली- महंगाई की उम्मीदों में तेज गिरावट के चलते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आने वाले महीनों में एक और ब्याज दर कटौती कर सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक नई रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि आरबीआई ने फिलहाल रेपो दर 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखी है, लेकिन विकास को बढ़ावा देने के लिए दरों में और नरमी की गुंजाइश बनी हुई है।

बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल में किए गए जीएसटी दरों में कटौती और त्योहारी सीजन के दौरान बढ़ने वाला उपभोक्ता खर्च चालू तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने में अहम भूमिका निभाएगा।

इन कारकों से उपभोग में मजबूती आने की उम्मीद है, जो वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करेगी।

‘मंथली इकोनॉमिक बुफे’ (सितंबर 2025) शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से नीति रुख को ‘न्यूट्रल’ रखने का निर्णय लिया है। समिति दरों को स्थिर रखते हुए टैरिफ बदलाव और जीएसटी पुनर्गठन के आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव की निगरानी कर रही है।

आरबीआई ने भारत की वित्त वर्ष 2025-26 की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है, जो चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में मजबूत प्रदर्शन को दर्शाता है।

वहीं, महंगाई (मुद्रास्फीति) का अनुमान 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च आवृत्ति संकेतक जैसे हवाई यात्री यातायात, बंदरगाह कार्गो मूवमेंट और रेल माल ढुलाई में हल्की सुस्ती दर्ज की गई है, जो आर्थिक गति में कुछ नरमी का संकेत देती है।

हालांकि, डीजल खपत, सरकारी व्यय और बैंक ऋण वृद्धि में सुधार देखा गया है।

रिपोर्ट में कहा गया कि हालिया जीएसटी दरों में कटौती और त्योहारी सीजन का प्रभाव आने वाले महीनों में मांग को आवश्यक बढ़ावा देगा।

बैंक ऑफ बड़ौदा ने यह भी कहा कि भारत अब भी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है, जिसका मुख्य कारण है मजबूत घरेलू उपभोग।

रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार, जीएसटी दरों में कमी और त्योहारी खर्च से देश में कुल उपभोग में 12 लाख करोड़ रुपये से 14 लाख करोड़ रुपये तक की वृद्धि हो सकती है, जिसमें सबसे बड़ा योगदान शादी से जुड़ी खरीदारी और सेवाओं का होगा।

 

With inputs from IANS