
नई दिल्ली — केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स वैल्यू चेन के हर स्तर पर अपनी घरेलू क्षमताओं को और गहराई तक मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर दिया कि तैयार उत्पादों और कंपोनेंट्स — दोनों में आत्मनिर्भरता हासिल करना भारत की निर्यात वृद्धि को बनाए रखने और आयात निर्भरता को कम करने की कुंजी होगा।
वे यहां आयोजित मोबाइल एंड इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (MEDEPC) की चौथी वार्षिक आम सभा (AGM) को संबोधित कर रहे थे।
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र इस समय अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसे दूरदर्शी नीतियों, रिकॉर्ड निवेशों और वैश्विक साझेदारियों ने गति दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2030 तक 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के लक्ष्य के अनुरूप, भारत तेजी से वैश्विक स्तर पर एक भरोसेमंद डिजाइन, उत्पादन और निर्यात केंद्र के रूप में उभरा है।
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात प्रदर्शन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है — अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 41.9 प्रतिशत बढ़कर 22.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 15.6 अरब डॉलर था।
स्मार्टफोन निर्यात में भी 58 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो 2024 की समान अवधि के 8.47 अरब डॉलर से बढ़कर 13.38 अरब डॉलर हो गया।
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने 38.6 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात दर्ज किए, जो वर्ष-दर-वर्ष 32.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इससे भारत की भूमिका वैश्विक वैल्यू चेन में और मजबूत हुई है।
भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक देश बन गया है — जो देश की निर्माण क्षमता और तकनीकी नेतृत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
भारत की वैश्विक वैल्यू चेन (GVCs) में बढ़ती भागीदारी इसे एक मजबूत और विश्वसनीय विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित कर रही है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन के बीच स्थिरता और पैमाना प्रदान करता है।
बैटरियों, चार्जर्स, कैमरा और डिस्प्ले मॉड्यूल जैसे महत्वपूर्ण घटकों की घरेलू सोर्सिंग बढ़ने से स्थानीय वैल्यू एडिशन और आत्मनिर्भरता को और मजबूती मिली है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय तथा डीजीएफ़टी (DGFT) के मार्गदर्शन में सरकार ने व्यापार संचालन को सरल बनाने और निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
कस्टम्स ऑटोमेशन, सिंगल-विंडो क्लियरेंस और प्रमुख बंदरगाहों व औद्योगिक क्लस्टरों में निर्यात सुविधा केंद्रों जैसी पहल ने लॉजिस्टिक्स को सुचारू बनाया है और निर्यातकों के लिए अनुपालन का बोझ घटाया है।
इसके अलावा, यूरोपीय संघ (EU), यूनाइटेड किंगडम (UK) और ईएफ़टीए (EFTA) के साथ चल रही मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ताएं भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं के लिए नए बाज़ार अवसर खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
With inputs from IANS