भारत का लक्ष्य: 2030 तक 300 मिलियन टन कच्चे इस्पात उत्पादन क्षमता हासिल करनाBy Admin Fri, 31 October 2025 01:35 PM

नई दिल्ली — भारत ने वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन कच्चे इस्पात (Crude Steel) उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है। यह जानकारी केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री भूपथिराजू श्रीनिवास वर्मा ने शुक्रवार को दी।

स्वीडन की ऊर्जा, व्यापार और उद्योग मंत्री की राज्य सचिव सारा मोडिग के साथ नई दिल्ली में हुई बैठक के दौरान, जिसमें स्वीडन के भारत में राजदूत यान थेसलेफ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, मंत्री वर्मा ने कहा कि भारत का इस्पात क्षेत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।

इस्पात मंत्रालय के अनुसार, भारत में घरेलू इस्पात की मांग 11–13 प्रतिशत की प्रभावशाली दर से बढ़ रही है, जो देश में चल रहे बड़े पैमाने के बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से प्रेरित है, जबकि वैश्विक स्तर पर मांग में मंदी देखी जा रही है।

बैठक में ग्रीन स्टील उत्पादन और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने वाली उन्नत तकनीकों के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की गई।

मंत्री वर्मा ने स्वीडन को भारत स्टील 2026 (Bharat Steel 2026) में भाग लेने के लिए पुनः आमंत्रित किया — यह एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी है जो इस्पात उद्योग को समर्पित है, और 16–17 अप्रैल 2026 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी।

इस बीच, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में देश के आठ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों की वृद्धि दर 3 प्रतिशत रही, जिसमें इस्पात और सीमेंट क्षेत्रों ने मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया।

सितंबर 2025 में इस्पात उत्पादन में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 14.1 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई, जिसका श्रेय सरकार द्वारा चलाए जा रहे बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से बढ़ी मांग को जाता है।

वित्तीय वर्ष 2025–26 के अप्रैल से सितंबर के बीच इस्पात उत्पादन में कुल 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि से अधिक है।

घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए सरकार ने अप्रैल 2025 में कुछ इस्पात आयातों पर 12 प्रतिशत अस्थायी सेफगार्ड शुल्क (safeguard duty) लगाया था। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ जैसी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली पहलों के अंतर्गत इस्पात उद्योग को सशक्त बनाने के निरंतर प्रयासों का हिस्सा है।

 

With inputs from  IANS