ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह की 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की 40 से ज़्यादा संपत्तियां जब्त कींBy Admin Mon, 03 November 2025 04:21 AM

मुंबई — प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोपों के तहत रिलायंस अनिल अंबानी समूह से जुड़ी लगभग 3,084 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच (जब्त) कर लिया है।

जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है, उनमें मुंबई के बांद्रा (पश्चिम) स्थित पाली हिल में आवासीय संपत्ति, नई दिल्ली में रिलायंस सेंटर, और दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई (कांचीपुरम सहित) और पूर्वी गोदावरी में कई अन्य संपत्तियाँ शामिल हैं।

इन संपत्तियों में कार्यालय परिसर, आवासीय इकाइयाँ और ज़मीन के भूखंड शामिल हैं। कुल चार आदेशों के तहत इन संपत्तियों का संयुक्त मूल्य लगभग 3,084 करोड़ रुपये है।

ईडी ने यह कार्रवाई 31 अक्तूबर 2025 को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 5(1) के तहत की।

मामला क्या है

यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) द्वारा जुटाई गई सार्वजनिक धनराशि के ग़लत उपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है।

2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RHFL के उपकरणों में 2,965 करोड़ रुपये और RCFL के उपकरणों में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

दिसंबर 2019 तक ये निवेश नॉन-परफॉर्मिंग हो गए, जिसमें RHFL पर 1,353.50 करोड़ रुपये और RCFL पर 1,984 करोड़ रुपये बकाया थे।

ईडी की जांच में पाया गया कि रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड द्वारा सीधे अनिल अंबानी समूह की वित्तीय कंपनियों में निवेश सेबी के हितों के टकराव (conflict of interest) नियमों के कारण कानूनी रूप से संभव नहीं था।

इन नियमों का उल्लंघन करते हुए, जनता के धन को म्यूचुअल फंड के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से यस बैंक की फाइनेंसिंग के जरिए अनिल अंबानी समूह की कंपनियों तक पहुँचाया गया।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि RHFL और RCFL ने यस बैंक से मिले फंड को समूह से जुड़ी संस्थाओं को ऋण के रूप में आगे बढ़ा दिया, जिससे बड़े पैमाने पर धन का हेरफेर हुआ।

रिलायंस कम्युनिकेशंस पर भी शिकंजा

ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) और उसकी सहयोगी कंपनियों से जुड़े लोन फ्रॉड केस की जांच भी तेज कर दी है।

जांच में सामने आया है कि इन कंपनियों ने लगभग 13,600 करोड़ रुपये के ऋणों को एवरग्रीनिंग (नए ऋण से पुराने ऋण चुकाने) के लिए इस्तेमाल किया, जिसमें से 12,600 करोड़ रुपये सम्बंधित पक्षों को ट्रांसफर किए गए और करीब 1,800 करोड़ रुपये एफडी/म्यूचुअल फंड्स में लगाए गए, जिन्हें बाद में तरल कर समूह कंपनियों में वापस भेज दिया गया।

ईडी ने यह भी पाया कि बिल डिस्काउंटिंग (Bill Discounting) का दुरुपयोग कर बड़ी मात्रा में धन सम्बंधित कंपनियों तक पहुँचाया गया।

कोबरापोस्ट का खुलासा और समूह की सफाई

पिछले सप्ताह कोबरापोस्ट नामक खोजी पोर्टल ने दावा किया था कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह ने 2006 से अब तक 28,874 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक घोटाले किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि समूह की कंपनियों ने बैंक ऋण, आईपीओ और बॉन्ड्स से जुटाई गई धनराशि को ग़लत तरीके से siphon off किया।

हालाँकि, रिलायंस समूह ने इन आरोपों को “दुष्प्रचार, आधारहीन और प्रेरित अभियान” बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि यह रिपोर्ट कॉर्पोरेट प्रतिस्पर्धियों के इशारे पर चलाई जा रही है।

 

With inputs from IANS