
मुंबई — देश में अक्टूबर माह में 30 लाख से अधिक नए डिमैट खाते खुले, जो पिछले 10 महीनों का उच्चतम स्तर है। यह सितंबर में खुले 24.6 लाख खातों की तुलना में लगभग 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। डिपॉजिटरी डेटा के अनुसार, भारत में कुल डिमैट खातों की संख्या अब 21 करोड़ तक पहुँच गई है, जो पिछले महीने के 20.7 करोड़ से अधिक है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस तेज़ वृद्धि के पीछे इक्विटी मार्केट में सुधार, विदेशी फंड प्रवाह की वापसी, और आईपीओ की बाढ़ प्रमुख कारण हैं, जिन्होंने खुदरा निवेशकों की रुचि को काफी बढ़ाया है।
अक्टूबर में भारत के प्राथमिक बाज़ार (प्राइमरी मार्केट) में रिकॉर्ड 10 मुख्य बोर्ड आईपीओ आए, जिनसे 44,930 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी जुटाने का लक्ष्य रखा गया — जो देश के पूंजी बाज़ार के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा मासिक फंडरेज़िंग लक्ष्य है।
विश्लेषकों ने यह भी बताया कि यह बढ़त व्यापक बाज़ार में मजबूत प्रदर्शन के कारण भी हुई। अक्टूबर में सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई, जबकि बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने क्रमशः 4 प्रतिशत और 3 प्रतिशत की बढ़त दिखाई।
कई महीनों तक नेट सेलर रहे विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) अक्टूबर में खरीदार के रूप में लौटे और उन्होंने भारतीय इक्विटी मार्केट में लगभग 1.6 अरब डॉलर का निवेश किया।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू शेयर बाजार फिलहाल साइडवेज़ या कंसॉलिडेशन फेज़ में रह सकता है, क्योंकि उच्च स्तरों पर हल्का सेलिंग प्रेशर देखा जा रहा है।
घरेलू मोर्चे पर इस सप्ताह निवेशकों की नजरें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के मुद्रास्फीति आंकड़ों पर टिकी होंगी, जो आने वाली मौद्रिक नीति की दिशा को स्पष्ट करने में मदद करेंगे।
इसी बीच, गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने भारत के प्रति अपना रुख ‘ओवरवेट’ (Overweight) करते हुए भारतीय इक्विटीज़ के लिए निफ्टी का लक्ष्य 29,000 अंकों (2026 के अंत तक) तय किया है, जो वर्तमान स्तरों से लगभग 14 प्रतिशत की संभावित बढ़त दर्शाता है।
गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि हालिया रुझानों से निवेशकों की भावना में सुधार दिख रहा है, क्योंकि वैल्यूएशन में ठंडक आई है और विदेशी जोखिम निवेश की भूख फिर से बढ़ रही है।
निवेश बैंक के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की दर कटौती, तरलता सुधार, बैंकिंग डिरेग्यूलेशन, जीएसटी में रियायतें, और राजकोषीय सख्ती में कमी जैसे कदमों से और मजबूती मिलेगी।
With inputs from IANS