
नई दिल्ली। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) और सरकारी स्वामित्व वाले बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने मंगलवार को एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य देशभर में एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए ऋण प्रवाह बढ़ाना, वर्किंग कैपिटल तक पहुंच को सुगम बनाना और वित्तीय सहायता को मज़बूत करना है।
समझौते के तहत सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में सिडबी के एमएसएमई-केन्द्रित दृष्टिकोण और बैंक ऑफ बड़ौदा के व्यापक शाखा नेटवर्क का उपयोग करते हुए क्रेडिट डिलिवरी को बेहतर बनाना शामिल है।
बैंक ऑफ बड़ौदा सिडबी द्वारा स्वीकृत उधारकर्ताओं के लिए अपने वर्किंग कैपिटल प्लेटफ़ॉर्म का संचालन भी करेगा, जिससे तकनीक-सक्षम और सुगम वर्किंग कैपिटल समर्थन सुनिश्चित होगा।
समझौते में स्टार्टअप्स को संरचित समर्थन देने का भी प्रावधान है, जिसमें सिडबी के वेंचर डेट कार्यक्रम और बैंक ऑफ बड़ौदा की स्टार्टअप बैंकिंग सेवाओं—जैसे वित्तीय उत्पाद, सलाहकार सेवाएँ और अनुकूलित समाधान—के माध्यम से समन्वित हस्तक्षेप शामिल हैं।
इसके अलावा, यह साझेदारी एमएसएमई और उच्च-विकास क्षमता वाले स्टार्टअप्स को बैंक ऑफ बड़ौदा के वैश्विक नेटवर्क का लाभ देगी, जिसमें निर्यात संबंधी बैंकिंग सहायता, बाज़ार पहुंच संबंधी जानकारी और अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग समाधान शामिल हैं।
देशभर में एमएसएमई क्लस्टर्स, इनक्यूबेटर्स, एक्सेलेरेटर और स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए संयुक्त कार्यक्रम भी इस समझौते में शामिल किए गए हैं।
यह एमओयू वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सचिव एम. नागराजु, सिडबी के सीएमडी मनोज मित्तल, बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यकारी निदेशकों ललित त्यागी और लाल सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किया गया।
अपने मुख्य संबोधन में नागराजु ने कहा, “यह साझेदारी एमएसएमई विकास में लगी एक समर्पित संस्था और एक बड़े वाणिज्यिक बैंक की ताकतों को साथ लाकर एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए एक सशक्त क्रेडिट इकोसिस्टम तैयार करेगी। सिडबी के नवोन्मेषी वित्त मॉडल और बैंक ऑफ बड़ौदा की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पहुंच के संयोजन से यह एमओयू पारंपरिक और नए उद्यमों को समय पर वर्किंग कैपिटल उपलब्ध कराने, संचालन बढ़ाने और वैश्विक वैल्यू चेन से जुड़ने में मदद करेगा।”
कार्यक्रम के दौरान सचिव, डीएफएस ने सिडबी-बीओबी समझौते के तहत एमएसएमई ग्राहकों को स्वीकृति पत्र भी सौंपे।
सिडबी के सीएमडी मनोज मित्तल ने कहा, “पिछले 35 वर्षों से सिडबी ने प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और डिजिटल हस्तक्षेपों के माध्यम से एमएसएमई और स्टार्टअप वित्तपोषण के परिदृश्य को आकार दिया है। यह एमओयू वेंचर डेट, डिजिटल क्रेडिट और समन्वित वर्किंग कैपिटल समाधानों के माध्यम से एमएसएमई और उच्च क्षमता वाले स्टार्टअप्स को संयुक्त रूप से समर्थन देने की हमारी क्षमता को और मज़बूत करता है। हम इसे भारत की उद्यम वृद्धि यात्रा को गति देने का एक महत्वपूर्ण अवसर मानते हैं।”
With inputs from IANS