
नई दिल्ली: भारत, जो पहले ही दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, अब 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। आधिकारिक बयान के अनुसार, उस समय भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 7.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
बयान में कहा गया कि भारत की आर्थिक प्रगति वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रही है और वर्तमान विकास चरण निर्णायक नीतिगत कदमों, संरचनात्मक सुधारों और वैश्विक एकीकरण के प्रभाव को दर्शाता है।
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की वास्तविक GDP (मुद्रास्फीति समायोजित) 8.2 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि FY 2024-25 की इसी तिमाही में यह वृद्धि 5.6 प्रतिशत थी।
FY 2025-26 की पहली तिमाही में GDP वृद्धि 7.8 प्रतिशत रही, जो पिछले वर्ष की पहली तिमाही (6.5 प्रतिशत) से अधिक है। इसी अवधि में नाममात्र GDP में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर देश की वृद्धि में अहम भूमिका निभा रहे हैं। FY 2025-26 की दूसरी तिमाही में प्राथमिक क्षेत्र की वास्तविक GVA वृद्धि 3.1 प्रतिशत रही। वहीं, सेकेंडरी सेक्टर में 8.1 प्रतिशत और टर्शियरी सेक्टर में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि ने कुल GDP को मजबूत किया।
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में वास्तविक GDP वृद्धि 8 प्रतिशत रही, जबकि FY 2024-25 की पहली छमाही में यह 6.1 प्रतिशत थी। इस दौरान प्राथमिक क्षेत्र ने 2.9 प्रतिशत की मध्यम वृद्धि दर्ज की, जबकि सेकेंडरी (7.6 प्रतिशत) और टर्शियरी सेक्टर (9.3 प्रतिशत) ने मजबूत विस्तार दिखाया।
अक्टूबर 2025 में भारत की मुद्रास्फीति दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई, जो अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद और प्रभावी मूल्य प्रबंधन का संकेत देती है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर हेडलाइन मुद्रास्फीति वर्ष-दर-वर्ष घटकर 0.25 प्रतिशत पर आ गई, जो वर्तमान CPI श्रृंखला का सबसे निचला स्तर है। यह मुद्रास्फीति भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा तय सहनशीलता दायरे के भीतर है।
मुद्रास्फीति में यह नरमी RBI के रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने के फैसले के अनुरूप है, जो मूल्य स्थिरता और भविष्य की विकास संभावनाओं में भरोसा दर्शाता है।
बयान के अनुसार, “भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और लचीले विकास पथ पर आगे बढ़ रही है, जिसे संरचनात्मक सुधार, डिजिटल परिवर्तन और समावेशी विकास पर फोकस का समर्थन प्राप्त है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विश्वास और स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक संकेतकों के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में भी अपनी रफ्तार बनाए रखने के लिए अच्छी स्थिति में है।”
With inputs from IANS