
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में जोरदार उछाल दर्ज हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल–सितंबर 2025 के दौरान कुल एफडीआई प्रवाह 18% से अधिक बढ़कर 35.18 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 29.79 अरब डॉलर था।
जून–सितंबर की तिमाही में निवेश वृद्धि 21% से ज्यादा रही और कुल एफडीआई 16.54 अरब डॉलर रहा। इसमें एफडीआई इक्विटी इनफ्लो 16.5 अरब डॉलर से अधिक रहा।
क्षेत्रवार स्थिति
सेवाएं क्षेत्र ने एफडीआई इक्विटी का सबसे बड़ा 16% हिस्सा आकर्षित किया, जिसमें 5.09 अरब डॉलर का निवेश हुआ। इस श्रेणी में वित्तीय सेवाएं, बैंकिंग, बीमा, बिजनेस आउटसोर्सिंग, R&D, कुरियर सेवाएं, तथा टेक्नोलॉजी टेस्टिंग और एनालिसिस शामिल हैं।
अमेरिका से जोरदार निवेश
इस वित्त वर्ष का एक महत्वपूर्ण रुझान अमेरिका से निवेश में बड़ी बढ़ोतरी है। अप्रैल–सितंबर के दौरान अमेरिका से आने वाला एफडीआई दोगुने से भी अधिक बढ़कर 6.62 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो भारतीय बाजार में वैश्विक निवेशकों के बढ़ते भरोसे का संकेत है।
राज्यों में महाराष्ट्र शीर्ष पर
महाराष्ट्र ने एफडीआई आकर्षित करने में अपना दबदबा बरकरार रखते हुए कुल एफडीआई इक्विटी का 31% हिस्सा (10.57 अरब डॉलर) प्राप्त किया।
कर्नाटक 21% हिस्सेदारी के साथ दूसरे और गुजरात 15% हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर रहे, जो इन राज्यों की विदेशी पूंजी आकर्षित करने की क्षमता को दर्शाता है।
GDP में मजबूत वृद्धि
इससे पहले, जुलाई–सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2% रही, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 5.6% की तुलना में कहीं अधिक है।
सरकारी बयान के अनुसार, सेकेंडरी और टर्शियरी सेक्टर की क्रमशः 8.1% और 9.2% की वृद्धि दर ने वास्तविक जीडीपी वृद्धि को 8% से ऊपर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 9.1% और निर्माण क्षेत्र ने 7.2% की वृद्धि दर्ज की। वहीं टर्शियरी सेक्टर में वित्तीय, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सेवाओं की वृद्धि दर Q2 FY26 में 10.2% रही।
With inputs from IANS