
नई दिल्ली- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार को बताया कि उसने रिलायंस पावर लिमिटेड और 10 अन्य के खिलाफ 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी के मामले में पूरक आरोपपत्र (सप्लीमेंटरी चार्जशीट) दायर किया है। यह फर्जी बैंक गारंटी रिलायंस पावर द्वारा सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को एक टेंडर सुरक्षित करने के लिए जमा की गई थी।
ईडी ने पूरक अभियोजन शिकायत पार्थ सारथी बिस्वाल, बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड, बायोथेन केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, अमर नाथ दत्ता, रविंदर पाल सिंह चड्ढा, रिलायंस NU BESS लिमिटेड, रोसा पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड, मनोज भैयासाहेब पोंडे, रिलायंस पावर लिमिटेड, अशोक कुमार पाल और पunit नरेंद्र गर्ग के खिलाफ दायर की है।
चार्जशीट दाखिल करने से ठीक पहले, ED ने मामले में 5.15 करोड़ रुपये की अपराध की कमाई (proceeds of crime) को भी अटैच कर लिया था।
रिलायंस पावर का बयान:
कंपनी ने कहा, “7 नवंबर 2024 और 14 नवंबर 2024 के प्रकटीकरण में हमने बताया था कि रिलायंस NU BESS लिमिटेड ने तीसरे पक्षों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी जिन्होंने बैंक गारंटी की व्यवस्था की थी। यह शिकायत 16 अक्टूबर 2024 को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दी गई थी, जिसके आधार पर 11 नवंबर 2024 को एफआईआर दर्ज की गई।”
कंपनी ने आगे कहा कि “रिलायंस पावर, उसकी सहायक कंपनियाँ और कर्मचारी पूरी तरह निर्दोष हैं और तीसरे पक्ष द्वारा किए गए धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और साजिश के शिकार हैं। इसी FIR के आधार पर ED ने जांच प्रारंभ की।”
कंपनी के अनुसार, “ED के आरोप अभी अदालत की कसौटी पर परखे नहीं गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, कंपनी को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलेगा, इसलिए चार्जशीट दाखिल होने से कंपनी के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।”
कंपनी ने कहा कि वह अपने हितों और सभी हितधारकों के हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कानूनी कदम उठाएगी और किसी भी गलत कार्य में स्वयं को और अपने अधिकारियों को पूरी तरह निर्दोष मानती है।
ED के आरोप:
ED के अनुसार, “रिलायंस समूह के अधिकारी अच्छी तरह जानते थे कि SBI के स्पूफ्ड ईमेल से SECI को फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी एंडोर्समेंट भेजे जा रहे हैं। जब SECI ने धोखाधड़ी पकड़ी, तो रिलायंस समूह ने एक दिन के भीतर IDBI बैंक से असली बैंक गारंटी की व्यवस्था कर दी, लेकिन SECI ने समय सीमा निकल जाने के कारण उसे स्वीकार नहीं किया।”
ED की जांच एफआईआर के आधार पर शुरू हुई—एक FIR SECI की शिकायत पर EOW ने रिलायंस NU BESS लिमिटेड के खिलाफ दर्ज की थी, जबकि दूसरी FIR रिलायंस NU BESS ने BTPL और उसके MD बिस्वाल के खिलाफ दर्ज कराई थी।
जांच में ED ने कहा कि “रिलायंस समूह ने SECI का टेंडर हासिल करने के लिए विदेशी बैंकों के नाम पर फर्जी बैंक गारंटी और SBI के नाम पर जाली एंडोर्समेंट जमा करने में मिलीभगत और दुर्भावनापूर्ण इरादा दिखाया।”
अनिल अंबानी समूह की संपत्तियों पर ED की कार्रवाई:
शुक्रवार को ED ने बताया कि अब तक अनिल अंबानी समूह की कुल 10,117 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ अटैच की जा चुकी हैं।
ताज़ा कार्रवाई में ED ने रिलायंस होम फ़ाइनेंस लिमिटेड/रिलायंस कमर्शियल फ़ाइनेंस लिमिटेड/YES बैंक फ्रॉड मामले में 1,120 करोड़ रुपये मूल्य की 18 से अधिक संपत्तियाँ, फिक्स्ड डिपॉज़िट, बैंक बैलेंस और अनक्वोटेड निवेशों में शेयर होल्डिंग अटैच की हैं।
इन संपत्तियों में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की 7 संपत्तियाँ, रिलायंस पावर लिमिटेड की 2 संपत्तियाँ और रिलायंस वैल्यू सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की 9 संपत्तियाँ शामिल हैं।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और रिलायंस पावर ने कहा कि वे सामान्य रूप से संचालित हो रही हैं और विकास, संचालन उत्कृष्टता तथा हितधारकों के लिए मूल्य निर्माण के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
With inputs from IANS