मजबूत निवेशक मांग के बीच 2026 में भारत का IPO पाइपलाइन 2.55 लाख करोड़ रुपये पार करने की राह परBy Admin Wed, 10 December 2025 06:11 AM

नई दिल्ली — भारतीय कंपनियों ने आगामी वर्ष 2026 के लिए 2.55 लाख करोड़ रुपये से अधिक का IPO पाइपलाइन तैयार कर लिया है, क्योंकि कंपनियां मजबूत और स्थिर निवेशक मांग का लाभ उठाने के लिए भारी संख्या में पब्लिक इश्यू लाने की तैयारी कर रही हैं।

2026 के लिए IPO स्थिति इस प्रकार है:

  • 88 कंपनियों को SEBI की मंजूरी मिल चुकी है, जो लगभग 1.16 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं।

  • 104 कंपनियां मंजूरी की प्रतीक्षा में हैं, जिनका लक्ष्य लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये जुटाने का है।

इस तेजी का संकेत 2025 में दाखिल किए गए 244 ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) से भी मिलता है, जो 2024 में दर्ज 157 ड्राफ्ट फाइलिंग की तुलना में काफी अधिक है।

रिकॉर्ड-ब्रेकिंग पिछले सालों की गति जारी

2025 भारतीय IPO बाज़ार के लिए ऐतिहासिक वर्ष रहा, जिसमें 100 कंपनियों ने मुख्य बोर्ड के माध्यम से 1.77 लाख करोड़ रुपये जुटाए — 2024 के आंकड़े से थोड़ा अधिक और 2007 के बाद सबसे अधिक संख्या।

यह गति लगातार बढ़ती रही:

  • 2024: 91 IPO, ₹1.6 लाख करोड़ जुटाए

  • 2023: 57 IPO, ₹49,500 करोड़ जुटाए

IPO बाज़ार क्यों तेजी पर है?

विश्लेषकों के अनुसार, IPO की भारी मांग का कारण है:

  • घरेलू बाजार में पर्याप्त तरलता

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की मजबूत भागीदारी

  • रिटेल और HNI निवेशकों की निरंतर रुचि

  • प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल फर्मों द्वारा सक्रिय एक्सिट रणनीतियाँ

  • सेकंडरी मार्केट के सीमित प्रदर्शन के बावजूद प्राथमिक बाजार में अधिक फंड जुटना

हालांकि, एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इस वर्ष सूचीबद्ध 300 से अधिक कंपनियों में से लगभग आधी कंपनियां अभी भी अपने इश्यू प्राइस से नीचे ट्रेड कर रही हैं।

OFS के माध्यम से भारी बिकवाली

इस वर्ष प्रमोटरों, प्राइवेट इक्विटी और वीसी निवेशकों ने OFS (Offer for Sale) के जरिए 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी बेची है।

कठोर वैश्विक स्थितियों से पहले फंडिंग सुरक्षित करने की दौड़

मार्केट विशेषज्ञों ने कहा कि कंपनियां वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों के सख्त होने से पहले फंडिंग सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हैं। वहीं भारत बड़े पब्लिक इश्यू को सुगम बनाने के लिए लिस्टिंग प्रक्रिया को भी सरल बना रहा है।

SEBI का सुधार एजेंडा

नवंबर में SEBI ने महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित किए, जिनका उद्देश्य लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों को दूर करना है:

  • प्री-IPO गिरवी रखे गए शेयरों पर लॉक-इन अवधि के दौरान नियंत्रण

  • सार्वजनिक इश्यू से संबंधित खुलासों को सरल बनाना

  • डिपॉजिटरी को निर्देश देने की व्यवस्था कि वह गिरवी शेयरों को लॉक-इन अवधि में "अहस्तांतरणीय" (non-transferable) के रूप में चिह्नित कर सके

भारत का IPO बाज़ार उच्च गति पर है, और अगले वर्ष यह नई ऊंचाइयों को छूने की ओर अग्रसर दिख रहा है।

 

With inputs from IANS