अप्रैल–सितंबर के दौरान एमएसएमई निर्यात 9.52 लाख करोड़ रुपये के पार: सरकारBy Admin Thu, 18 December 2025 11:08 AM

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में सितंबर तक देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने 9,52,023.35 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात किया है। यह जानकारी गुरुवार को संसद में दी गई।

लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने बताया कि यह निर्यात आंकड़े वाणिज्यिक खुफिया एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएंडएस) पोर्टल से चिन्हित एमएसएमई से जुड़े उत्पादों के आधार पर तैयार किए गए हैं।

सरकार ने कहा कि इस अवधि के दौरान भारत के निर्यात प्रदर्शन में मजबूत गति देखने को मिली है, विशेष रूप से उच्च मूल्य और प्रौद्योगिकी आधारित क्षेत्रों में। इनमें इलेक्ट्रॉनिक सामान, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग उत्पाद शामिल हैं, जिनमें एमएसएमई की अहम भूमिका रही है।

मंत्री ने कहा, “वित्त वर्ष 2025-26 (सितंबर तक) के दौरान एमएसएमई से जुड़े उत्पादों के निर्यात का कुल मूल्य 9,52,023.35 करोड़ रुपये रहा है, जैसा कि डीजीसीआईएंडएस पोर्टल से संकलित आंकड़ों में दर्शाया गया है।”

उन्होंने आगे कहा, “इस अवधि में भारत का निर्यात प्रदर्शन उच्च मूल्य और तकनीक-आधारित प्रमुख क्षेत्रों में मजबूत रहा है, जिसका नेतृत्व इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग उत्पादों ने किया है।”

एमएसएमई निर्यात को और सशक्त बनाने के लिए सरकार ने एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईपीएम) शुरू किया है। यह एक व्यापक ढांचा है, जिसका उद्देश्य देश के समग्र निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है।

इस मिशन के तहत ‘निर्यात प्रोत्साहन’ पहल के माध्यम से एमएसएमई निर्यातकों को व्यापार वित्त तक आसान पहुंच उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

इसके साथ ही ‘निर्यात दिशा’ के माध्यम से गैर-वित्तीय सहायता भी दी जा रही है, जिसमें निर्यात गुणवत्ता मानकों, नियामक अनुपालन, बाजार तक पहुंच, लॉजिस्टिक्स सुविधा और मजबूत निर्यात इकोसिस्टम के निर्माण में एमएसएमई की मदद की जा रही है।

मंत्री ने कहा, “कम जीएसटी दरों से कच्चा माल और सेवाएं अधिक किफायती हुई हैं, जिससे लघु और मध्यम उद्यमों तथा स्टार्ट-अप्स को अपने परिचालन का विस्तार करने, नवाचार में निवेश करने और घरेलू व वैश्विक दोनों स्तरों पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रोत्साहन मिला है।”

इससे ऑटोमोबाइल, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, लॉजिस्टिक्स और हस्तशिल्प जैसे प्रमुख क्षेत्रों में स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाएं मजबूत हुई हैं। साथ ही, छोटे व्यवसायों और स्टार्ट-अप्स को अपने विस्तार, नवाचार में निवेश और वैश्विक बाजार में अधिक प्रभावी प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरणा मिली है।

 

With inputs from IANS