
नई दिल्ली: अमेरिका ने कहा है कि भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले और बातचीत की आवश्यकता है, क्योंकि 1 अगस्त की डेडलाइन — जब पारस्परिक शुल्क (टैरिफ) लागू हो सकते हैं — नजदीक आ रही है।
सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमिसन ग्रीर ने कहा कि वाशिंगटन को इस व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए नई दिल्ली से और चर्चाएं करनी होंगी।
ग्रीर ने कहा, "हम अपने भारतीय समकक्षों से लगातार संवाद में हैं, और हमारे बीच हमेशा रचनात्मक बातचीत हुई है।"
उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने अपने बाजार के कुछ हिस्सों को खोलने में रुचि दिखाई है।
ग्रीर ने कहा, "हम निश्चित रूप से बातचीत जारी रखने को तैयार हैं, लेकिन इसके लिए हमें और बातचीत की जरूरत है, ताकि यह समझ सकें कि हमारे भारतीय मित्र इस समझौते को कितना महत्वाकांक्षी बनाना चाहते हैं।"
उन्होंने यह भी जोड़ा, "भारत की व्यापार नीति लंबे समय से अपने घरेलू बाजार की सख्त सुरक्षा पर आधारित रही है। यही उनका कारोबारी तरीका है।"
ग्रीर ने यह भी कहा कि चीन का अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के लिए तैयार होना एक “अच्छा संकेत” है, लेकिन उन्होंने कोई बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद नहीं जताई।
इस बीच, भारत के केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल पहले ही संकेत दे चुके हैं कि 26 प्रतिशत टैरिफ टालने के लिए एक समझौता संभव हो सकता है।
वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी पिछले सप्ताह कहा था कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं अच्छी तरह आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह सकती कि द्विपक्षीय व्यापार अच्छा है या बुरा, लेकिन हम द्विपक्षीय समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ हमारी बातचीत अच्छी प्रगति कर रही है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाल ही में कहा था कि भारत के साथ व्यापार समझौता लगभग पूरा होने वाला है। उन्होंने कहा, "हम भारत के साथ एक समझौते के बहुत करीब हैं, जहां वे अपने बाजार को अमेरिका से आयात के लिए खोलने को तैयार हैं।"
ध्यान देने की बात यह है कि ट्रंप ने अब तक भारत को वह टैरिफ नोटिस नहीं भेजा है, जो उन्होंने अन्य देशों को भेजा था — जिसमें यह चेतावनी दी गई थी कि अगर 1 अगस्त तक समझौता नहीं हुआ तो 35 प्रतिशत तक का शुल्क लगाया जा सकता है।
With inputs from IANS