
मुंबई- विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका और रूस के बीच तनाव कम होने से संकेत मिलते हैं कि भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत का सेकेंडरी टैरिफ 27 अगस्त के बाद लागू होने की संभावना नहीं है। इससे विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की धारणा मज़बूत होगी।
एक और सकारात्मक पहलू यह है कि एसएंडपी ग्लोबल ने भारत की क्रेडिट रेटिंग BBB- से बढ़ाकर BBB कर दी है, जो निवेशकों के लिए भरोसा बढ़ाने वाला कदम है।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ़ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा कि आगे चलकर एफआईआई की गतिविधियाँ टैरिफ से जुड़े फैसलों पर निर्भर रहेंगी।
उन्होंने बताया कि पिछले छह हफ़्तों से घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की भारी ख़रीदारी के बावजूद भारतीय बाज़ार कमजोर प्रदर्शन कर रहा था, जिसका कारण व्यापार संबंधी चिंताएँ और एफआईआई की बिकवाली रही।
विजयकुमार ने कहा: “भारत ने पिछले छह हफ़्तों में अधिकांश बाज़ारों से कमजोर प्रदर्शन किया है। यह अंडरपरफॉर्मेंस तब हुआ है जब डीआईआई ने म्यूचुअल फंड्स में मजबूत प्रवाह के सहारे भारी निवेश किया।”
आंकड़ों के अनुसार, एफआईआई ने 14 अगस्त तक 24,190 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची, लेकिन इस बिकवाली को डीआईआई की 55,790 करोड़ रुपये की भारी ख़रीदारी ने पूरी तरह संतुलित कर दिया।
बाज़ार की चुनौतियाँ
कमजोर आय-वृद्धि (earnings growth)
ऊँचे वैल्यूएशन
FY26 के लिए सिर्फ 8-10% कमाई की उम्मीद
इन कारकों ने बियरिश निवेशकों को शॉर्ट पोज़िशन बढ़ाने का अवसर दिया, जिससे बाज़ार पर दबाव बना।
विश्लेषकों के अनुसार, एफआईआई की लगातार बिकवाली से आईटी इंडेक्स नीचे आया है, जबकि बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर अपेक्षाकृत मज़बूत बने हुए हैं, जिसका कारण उचित वैल्यूएशन और संस्थागत निवेश है।
बाज़ार का प्रदर्शन
छह हफ़्तों की गिरावट के बाद भारतीय इक्विटी बाज़ार ने वापसी की और छुट्टी वाले छोटे सप्ताह में लगभग 1 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ।
सकारात्मक शुरुआत के बावजूद बाद के सत्रों में रफ़्तार धीमी रही। अंततः बेंचमार्क इंडेक्स ऊपर बंद हुए – सेंसेक्स 80,597.66 और निफ्टी 24,631.30 पर पहुँचा।
रिलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के एसवीपी (रिसर्च) अजीत मिश्रा ने कहा: “यह रिकवरी अनुकूल मैक्रोइकोनॉमिक माहौल से समर्थित रही। जुलाई में खुदरा महंगाई घटकर 1.55% पर आ गई, जो जून 2017 के बाद सबसे निचला स्तर है। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार गिरावट रही।”
थोक महंगाई (WPI) भी लगातार दूसरे महीने नकारात्मक रही और –0.58% पर दर्ज हुई, जिससे कीमतों पर नियंत्रण का संकेत मिला।
With inputs from IANS