
नई दिल्ली- ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बड़ी मजबूती देते हुए, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन वर्ष 2014-15 से शुरू हुए एक दशक में 31 अरब डॉलर से बढ़कर 133 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। यह जानकारी वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दी।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में निर्यात 2024-25 की समान तिमाही की तुलना में 47 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है, जिसकी जानकारी मंत्री ने एक्स पोस्ट के जरिए साझा की।
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने भारत को विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई साधन उपलब्ध कराए हैं। इसका परिणाम यह है कि जहाँ 2014 में केवल 2 मोबाइल विनिर्माण इकाइयाँ थीं, वहीं आज इनकी संख्या बढ़कर 300 से अधिक हो गई है।”
सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है मोबाइल आयातक से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बनने की यात्रा।
गोयल ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र ने बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं। सोलर मॉड्यूल, नेटवर्किंग डिवाइस, चार्जर एडेप्टर और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स ने भी हमारे निर्यात को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है।”
भारतीय सेल्यूलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) द्वारा संकलित ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 2025-26 की पहली तिमाही में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 12.4 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 8.43 अरब डॉलर था। इस गति से, उद्योग निकाय का अनुमान है कि वित्त वर्ष के अंत तक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 46 से 50 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।
मोबाइल फोन सेगमेंट सबसे बेहतर प्रदर्शनकर्ता रहा, जिसमें 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2024-25 की पहली तिमाही में 4.9 अरब डॉलर से बढ़कर 2025-26 की पहली तिमाही में यह आँकड़ा अनुमानित 7.6 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
गैर-मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात ने भी मजबूत बढ़त दर्ज की और 3.53 अरब डॉलर से बढ़कर अनुमानित 4.8 अरब डॉलर हो गया, यानी 36 प्रतिशत की वृद्धि। इनमें प्रमुख उत्पाद खंड सोलर मॉड्यूल, स्विचिंग और राउटिंग उपकरण, चार्जर एडेप्टर और उनके पुर्जे तथा अन्य घटक शामिल हैं।
पिछले दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। इस वृद्धि को चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP), प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी नीतिगत पहलों और राज्य-उद्योग सहयोग ने संभव बनाया है।
With inputs from IANS