
नई दिल्ली – केंद्र कैबिनेट ने ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसे बुधवार को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। इस बीच, प्रमुख उद्योग संगठनों ने सरकार से तत्काल बैठक की मांग की है। उनका कहना है कि यदि यह विधेयक पारित हो गया तो इससे “भारतीय उपयोगकर्ताओं और नागरिकों को गंभीर नुकसान” होगा।
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडिया फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) द्वारा लिखे गए संयुक्त पत्र में कहा गया है कि “हम दृढ़ता से मानते हैं कि ऑनलाइन स्किल गेमिंग उद्योग प्रधानमंत्री के 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अर्थव्यवस्था के विज़न का अहम हिस्सा बन सकता है।”
उद्योग संगठनों ने आगे लिखा, “हमें विश्वास है कि आपके सहयोग से भारत का गेमिंग सेक्टर जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ेगा, रोजगार सृजित करेगा, कर राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देगा और अवैध ऑपरेटरों को दूर रखेगा।”
यह विधेयक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों को कानूनी ढांचे के तहत लाने और डिजिटल ऐप्स के माध्यम से जुए पर दंड का प्रावधान करने का प्रयास करता है। इसमें लत, धोखाधड़ी और विभिन्न राज्यों के कानूनों में असंगतियों जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सज़ा और दंड का प्रावधान किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ऑनलाइन गेमिंग का केंद्रीय नियामक बनाया जा सकता है। प्रस्तावित कानून का मकसद अनधिकृत ऑनलाइन सट्टेबाजी को रोकना भी है।
फेडरेशनों के अनुसार, भारत का ऑनलाइन स्किल गेमिंग उद्योग एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसकी एंटरप्राइज वैल्यूएशन 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। यह क्षेत्र 31,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व और 20,000 करोड़ रुपये से अधिक सालाना प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर देता है और 20% सीएजीआर की दर से बढ़ते हुए 2028 तक दोगुना होने की संभावना है।
भारत में ऑनलाइन गेमर्स की संख्या 2020 में 36 करोड़ से बढ़कर 2024 में 50 करोड़ से अधिक हो चुकी है। उद्योग ने जून 2022 तक 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया है और वर्तमान में यह 2 लाख से ज्यादा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नौकरियां उपलब्ध करा रहा है।
पत्र में कहा गया है कि “किसी भी प्रकार का पूर्ण प्रतिबंध इस वैध और रोजगार देने वाले उद्योग के लिए विनाशकारी होगा और भारतीय उपयोगकर्ताओं व नागरिकों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा।”
संगठनों का कहना है कि यदि जिम्मेदार और विनियमित भारतीय प्लेटफॉर्म बंद कर दिए गए, तो करोड़ों खिलाड़ी अवैध मटका नेटवर्क, विदेशी जुआ वेबसाइटों और असुरक्षित प्लेटफॉर्म्स की ओर मुड़ जाएंगे, जहां न तो सुरक्षा होगी, न उपभोक्ता संरक्षण और न ही कराधान।
पत्र में चेतावनी दी गई कि प्रस्तावित प्रतिबंध से न केवल वैश्विक निवेश और निवेशकों का भरोसा प्रभावित होगा, बल्कि 2 लाख से अधिक नौकरियां समाप्त होंगी, 400 से ज्यादा कंपनियां बंद हो जाएंगी और भारत की डिजिटल नवाचार क्षमता कमजोर होगी। “इस विधेयक का असली फायदा केवल अवैध विदेशी जुआ ऑपरेटरों को होगा।”
सरकार पहले से ही ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को विनियमित करने की प्रक्रिया में है और अक्टूबर 2023 से इस पर 28% जीएसटी लगाया जा रहा है।
With inputs from IANS